Hartalika Teej 2025: व्रत के दिन जरूर करें यह काम, शादीशुदा जिंदगी में हमेशा बनी रहेगी खुशहाली

हरतालिका तीज, सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखने वाला पर्व है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करने का संकल्प लिया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को पति के लिए अखंड सौभाग्य और सुख-शांति का वरदान मिलता है. यदि आप भी इस पावन दिन अपनी इच्छाओं की पूर्ति और वैवाहिक जीवन में खुशहाली चाहते हैं, तो व्रत के साथ-साथ कुछ विशेष शुभ कार्य करना बहुत जरूरी होता है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 25 Aug 2025 7:52 PM IST

मंगलवार 26 अगस्त को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस तिथि पर हर वर्ष हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है. हरतालिका तीज में सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुख-सौभाग्य में वृद्धि के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है.

यह व्रत कठिन व्रतों में से एक होता है, जिसमें महिलाएं निर्जला व्रत रखते हुए पूजा-अर्चना करती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पीए व्रत रखती हैं. आइए जानते हैं हरतालिका तीज व्रत का महत्व और पूजा विधि.

हरतालिका तीज व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है. जिसमें सुहागिन महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखते हुए अपनी पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन निर्जला व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

पूजा की विधि

हरतालिका तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ उनके पूरे परिवार की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है. सबसे पहले किसी भी पूजा या शुभ कार्य में अगर गणेशजी की पूजा सबसे पहले होती है तो सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं. ऐसे में सुहागिन महिलाओं को सबसे पहले हरतालिका तीज की पूजा गणेश पूजन के साथ शुरू करें. गणेश जो को आमंत्रित करते हुए उन्हें दूर्वा और लड्डू अर्पित करें. फिर धूप-दीप जलाकर आरती करें और फिर शिव-पार्वती का अभिषेक करें. फिर शिव-पार्वती की मिट्टी की बनी प्रतिमा पर गंगाजल, पंचामृत,बेलपत्र, धतूरा, चंदन, अबीर और गुलाल अर्पित करें. इसके बाद देवी मां को श्रृंगार की सभी चीजें अर्पित करें. मां को लाल चुनरी, लाल फूल, चूड़ियां, कंधी, इत्र, कुमकुम और सुहाग की अन्न दूसरी चीजों को अर्पित करें. फिर इसके बाद धूप-दीप जलाकर आरती और शिव-पार्वती के मंत्रों का लगातार जाप करें. अंत में ध्यान, जप , भजन-कीर्तन करते हुए शिव-पार्वती से जुड़ी कथाएं सुनें.

व्रत की कथा

हरतालिका तीज का व्रत तभी पूरा होता है जब भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी कथा सुने. पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी. इसके लिए उन्होंने कठोर तपस्या की थी. जिसमें माता पार्वती ने तपस्या में लीन रहने के लिए अन्न और जल का भी सेवन नहीं किया था. माता पार्वती को इस अवस्था में देखकर उनके माता पिता ने भगवान विष्णु के साथ पार्वती का विवाह करने का मन बना लिया था. जब माता पार्वती को इस बात की जानकारी हुई तो वह बहुत ही दुखी हो गई. उनकी एक सहेली से माता पार्वती का यह दुख देखा नहीं गया और उस सहेली ने माता पार्वती को वन में जाने कि सलाह दी. जिसके बाद माता पार्वती वन में चली गई और वो एक गुफा में जाकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गई थी. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का बनाया और शिव जी की स्तुति करने लगी. इतनी कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया।

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