Guru Purnima 2025:10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा, जानिए महत्व और कैसे करें अपने गुरु की पूजा

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. वेदव्यास ने महाभारत, 18 पुराणों, ब्रह्मसूत्र और वेदों का संकलन किया था. उन्हें आदिगुरु के रूप में पूजा जाता है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 9 July 2025 12:36 PM IST

10 जुलाई, गुरुवार को गुरुओं की पूजा का सबसे बड़ा पर्व गुरु पूर्णिमा है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जीवन की राह दिखाने वाले अपने गुरु और मार्गदर्शक की पूजा करने की मान्यता है.

इस दिन शिष्य और अध्यात्म में रुचि रखने वाले लोग अपने गुरु की विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. शास्त्रों में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊपर दिया गया है. गुरु ही अपने शिष्य को जीवन में आगे बढ़ने, उचित-अनुचित, सत्य-असत्य का बोध कराते हैं और भगवान की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं.

गुरु पूर्णिमा तिथि 2025

पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि 10 जुलाई की रात 01 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 11 जुलाई को रात 02 बजकर 07 मिनट पर होगा. ऐसे में गुरु पूर्णिमा का त्योहार 10 जुलाई, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा.

शुभ योग

इस साल गुरु पूर्णिमा के दिन बहुत ही शुभ और सुंदर योग बना हुआ है. गुरुवार के दिन गुरु पूर्णिमा और इस दिन इंद्र और वैधृति योग का निर्माण होगा जिससे बहुत ही शुभ और फलदायी माना जाता है. इसके इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया भी नहीं रहेगा. यह पर्व गुरुओं और अपने माता-पिता के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का अवसर होता है.

आषाढ़ पूर्णिमा वेदव्यास जन्मोत्सव

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है क्योंकि पहले गुरु का दर्जा महर्षि वेद व्यास को मिला है और इस दिन उनका जन्मोत्सव मनाया जाता है. महर्षि वेद व्यास ने चारों वेदों की रचना की थी. इसके अलावा 18 पुराण, महाभारत और श्रीमद्भगवद् गीता की भी रचना की थी. ऐसी मान्यता है कि देवों के देव महादेव ने सप्तर्षियों को योग का ज्ञान आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को दिया था. जिसके कारण भगवान शिव को आदि योगी भी कहते हैं.

गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें गुरु की पूजा

जिन लोगों ने किसी गुरु से दीक्षा प्राप्ति की है उनको गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं के घर जाकर उनके दर्शन करें और चरण स्पर्श करते हुए उनकी चरण वंदना करें, उपहार देते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. वहीं जिन लोगों ने दीक्षा नहीं ली है वे गुरू पूर्णिमा के दिन सबसे पहले अपने माता-पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और फिर महर्षि वेद व्यास, भगवान शिव, भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु, भगवान हनुमान और अपने कुल देवी-देवता का पूजन करते हुए उनका आर्शीर्वाद प्राप्त करें.

व्रत रखें और ध्यान करें

गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है. इस दिन स्नान, दान-पुण्य करने के बाद व्रत रखते हुए अपने गुरुओं का स्मरण और ध्यान करें. इसके बाद जरूरत मंदों को अनाज, कपड़े, धन और छाता का दान करें और ब्राह्राणों को भोजन खिलाएं.

सेवा करने का संकल्प

गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लें. जो लोग गुरु दीक्षा लेना चाह रहे हैं इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को गुरु मानकर उनसे दीक्षा प्राप्त करें और गुरु दक्षिणा दें.

साधु-संतों और महात्माओं का प्रवचन सुने

गुरू पूर्णिमा पर अपने गुरुओं का प्रवचन सुने और पवित्र ग्रंथों का पाठ करें. गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरुओं को उपहार देते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.

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