Chhath Puja 2025: छठ पूजा के तीसरे दिन व्रती देंगीं संध्या अर्घ्य, जानिए सूर्यास्त का समय और पूजा मंत्र
छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे सांध्य अर्घ्य का दिन कहा जाता है. इस दिन श्रद्धालु डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान सूर्य और छठी माई की आराधना करते हैं. संध्या अर्घ्य भक्ति और आस्था का प्रतीक है.;
सूर्योपासना का सबसे प्रमुख पर्व छठ पूजा जिसे हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, 27 अक्तूबर को है. छठ पूजा का तीसरा दिन जिसे सांध्य पूजा के नाम से जाना जाता है, इस दिन व्रती निर्जला व्रत रखते हुए शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करती हैं. साथ ही किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे छठी मईया की पूजा होती है. इस दिन का विशेष महत्व होता है. छठ पर्व चार दिनों तक चलता है जिसमें तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है.
इस दिन शाम के समय बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि को सजाया जाता है. फिर सूप में पूजन सामग्री को लेकर सूर्यदेव और छठ मईया की पूजा की जाती है. इसके बाद व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ सूर्यदेव को अर्घ्य देती हैं. छठ पर्व का तीसरे दिन सूर्यदेव को जल और दूध अर्पित करके सूप में प्रसाद रख छठी मैया की पूजा होीत है. फिर सूर्य देव की उपासना के साथ छठी माता के गीत और व्रत कथा सुनी जाता है. आइए जानते हैं छठ पर्व पर कब होगा सूर्यास्त, अर्घ्य देने का मंत्र और पूजा का शुभ मुहूर्त.
षष्ठी तिथि का प्रारंभ और समापन समय
- सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 30 मिनट पर .
- सूर्यास्त का समय: शाम 05 बजकर 40 मिनट पर.
- छठ पूजा 2025: षष्ठी तिथि का प्रारंभ और समापन का समय
- षष्ठी तिथि प्रारंभ- 27 अक्तूबर 2025 को सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर
- षष्ठी तिथि समाप्त- 28 अक्टूबर 2025 को सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर
छठ पूजा शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:47 से 05:38 तक
- प्रातः सन्ध्या पूजा: प्रात: 05:13 से 06:30 तक
- अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:42 से दोपहर 12:27 तक
- गोधूलि मुहूर्त : शाम को 05:40 से 06:06 तक
- सायाह्न सन्ध्या पूजा: शाम को 05:40 से 06:57 तक
पूजा और सूर्य उपासना का धार्मिक महत्व
छठ पूजा पर सूर्यदेव और छठ मईया की उपासना का विशेष महत्व होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव के बिना जीवन असंभव है. शास्त्रों में सूर्य की आराधना से समस्त रोग, दोष और अंधकार से मुक्ति देने वाला बताया गया है. सूर्य देव की कृपा से आरोग्य, धन, संतान और दीर्घायु की प्राप्ति होती है. छठ पर्व में अस्ताचलगामी और उदयाचल सूर्य दोनों की पूजा का विशेष महत्व होता.
अर्घ्य का मंत्र
आयुरोग्य मैस्वैर्यं देहि देवः जगत्पते.. ॐ भास्कराय विद्महे महादुत्याधिकराय धीमहि तन्मो आदित्य प्रचोदयात्.. ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः.. जयवाहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्..