Chaiti Chhath 2025: जानें खरना के दिन सूर्य देवता को कैसे अर्पित करें भोग
विशेष रूप से छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना पर सूर्य देव की पूजा का महत्व बहुत अधिक होता है. यह पूजा एक दिन के कठिन उपवास के बाद होती है, जिसमें व्रति सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सूर्यास्त के समय विशेष रूप से अर्घ्य अर्पित करते हैं.;
चैती छठ भारत के बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, और नेपाल में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू पर्व है. यह छठ पूजा का ही एक रूप है. इसे चैती छठ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह चैत्र माह यानी हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्च-अप्रैल में मनाया जाता है, जबकि मुख्य छठ पूजा कार्तिक माह में होती है.
चैती छठ में भी मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है, लेकिन इस पूजा का विशेष उद्देश्य सूर्य से आरोग्य (स्वास्थ्य), समृद्धि, और संतान सुख की प्राप्ति है. इसे सप्ताहभर का उपवास रखने और कठिन साधना के रूप में मनाया जाता है.
चार दिन तक मनाया जाता है त्योहार
चैत्री छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रति और फलाहार का सेवन करते हैं. खरना, जिसमें दिनभर उपवासी रहने के बाद, शाम को विशेष रूप से मीठी खीर, रोटी, चना, और फल का भोग तैयार किया जाता है. तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं और चौथे दिन सुबह.
खरना का महत्व
खरना का आयोजन छठ पूजा के दूसरे दिन होता है और इसे "खरना का व्रत" भी कहा जाता है. खरना के दिन व्रति दिनभर उपवासी रहते हैं. यानी वे बिना कुछ खाए-पीए रहते हैं. शाम को वे संतान सुख और भगवान सूर्य से आशीर्वाद पाने के लिए खास पकवानों का भोग तैयार करते हैं. इस दिन व्रति विशेष रूप से गुड़ की मीठी खीर, रोटी, चना, और फल जैसी चीजों का प्रसाद तैयार करते हैं. इसके बाद वे खुद भी इसे खाते हैं और परिवार के अन्य सदस्यों को भी बांटते हैं.
कैसे करें सूर्य देव की पूजा
- खरना पर सूर्य देवता की पूजा सूर्यास्त के समय की जाती है. व्रति नदी, तालाब, या किसी साफ स्थान पर जाते हैं जहां सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पित किया जा सके.
- सूर्य देवता के सामने खड़े होकर व्रति हाथों में जल से भरा हुआ कच्चा पानी या दूध अर्पित करते हैं.
- व्रति सूर्य देवता का ध्यान करते हुए उनका आराधना मंत्र पढ़ते हैं. इस दौरान सूर्य देवता से स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख की कामना की जाती है.
- पूजा के दौरान दीपक जलाकर उसे सूर्य देवता के सामने रखें. इसके अलावा, अगर संभव हो तो धूप और अगरबत्ती भी अर्पित करें.