गलत पोजीशन और मोबाइल की आदतें बढ़ा रही हैं कंधे का दर्द, डॉक्टरों ने दी चेतावनी; सही समय पर करवाएं इलाज
डॉ. इस बात पर ज़ोर देते हैं कि कंधे के किसी भी दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर अगर वह कुछ दिनों से ज़्यादा बना रहे या हाथ की गतिशीलता पर असर डाल रहा हो. अगर दर्द बढ़ता जा रहा है, या कंधे को घुमाने में मुश्किल हो रही है, तो यह चेतावनी का संकेत है.;
कंधे का दर्द एक ऐसी समस्या है, जिसे हम में से ज़्यादातर लोग हल्के में ले लेते हैं. कभी कसरत के बाद हल्की सी मरोड़, कभी कोई भारी सामान उठाते समय खिंचाव, या फिर गलत स्थिति में सोने के बाद महसूस होने वाली बेचैनी इन सबको हम “साधारण दर्द” मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं. दर्द कम करने वाली दवा खा लेते हैं, थोड़ा आराम कर लेते हैं, और फिर भूल जाते हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि यही लापरवाही आगे चलकर किसी गंभीर समस्या की शुरुआत बन सकती है.
न्यूज के 18 मुताबिक, मुंबई के सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक्स और जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के निदेशक डॉ. वैभव बागरिया बताते हैं कि कंधे का जोड़ शरीर का सबसे गतिशील और लचीला जोड़ है, लेकिन इसी वजह से यह सबसे अधिक चोट के खतरे में भी रहता है. वे कहते हैं, 'कंधा गतिशीलता का एक अद्भुत नमूना है यह हमारे शरीर को असंख्य दिशाओं में हिलने-डुलने की क्षमता देता है, लेकिन यही इसे नाज़ुक भी बनाता है.' डॉ. बागरिया चेतावनी देते हैं कि जो दर्द या अकड़न आज मामूली लग रही है, वह आगे चलकर रोटेटर कफ फटना, फ्रोजन शोल्डर, या क्रॉनिक इंपिंगमेंट जैसी गंभीर बीमारियों का रूप ले सकती है.
इलाज में देरी करना बन सकता है बड़ी गलती
डॉ. बागरिया का कहना है कि ज़्यादातर मरीज़ तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक दर्द असहनीय न हो जाए. वह कहते हैं, 'मेरे क्लिनिक में बहुत से ऐसे लोग आते हैं जो हफ़्तों या महीनों तक इंतज़ार करते हैं, और तब आते हैं जब सूजन अकड़न में बदल चुकी होती है, और अकड़न जकड़न में.' वे बताते हैं कि कई बार लोग यह समझ ही नहीं पाते कि दर्द की असली वजह कंधा है, क्योंकि यह दर्द गर्दन या बाजू में भी महसूस हो सकता है. ऐसे में मरीज़ भ्रमित हो जाते हैं और दर्द की जड़ तक पहुँचने में देर हो जाती है.
मॉडर्न लाइफस्टाइल और गलत आदतों का असर
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कंधे की समस्या आम होती जा रही है. घंटों तक कंप्यूटर या मोबाइल के सामने झुककर बैठना, गलत मुद्रा में सोना, या एक्सरसाइज़ से पहले स्ट्रेचिंग न करना ये सभी कंधे पर ज़रूरत से ज़्यादा दबाव डालते हैं. डॉ. बागरिया कहते हैं, 'अच्छी बात यह है कि अगर शुरुआत में ही ध्यान दिया जाए, तो कंधे की ज़्यादातर समस्याओं को बिना सर्जरी के ठीक किया जा सकता है.' वे लोगों को सलाह देते हैं कि नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करें, रोटेटर कफ मांसपेशियों को मज़बूत करें, सही मुद्रा में बैठें, और अगर कभी चोट लगे तो उसे नज़रअंदाज़ न करें. उनकी सबसे यादगार बात यह है, ;कंधे के चीखने का इंतज़ार मत करो; जब वह फुसफुसाए, तब ही सुनो.'
फिटनेस के शौकीन और ऑफिस पेशेवर भी खतरे में
इसी विषय पर डॉ. आदित्य साईं, जो मुंबई के डॉ. एल.एच. हीरानंदानी हॉस्पिटल, पवई में ऑर्थोपेडिक्स और स्पोर्ट्स मेडिसिन विशेषज्ञ हैं, बताते हैं कि कंधे का दर्द सिर्फ़ उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं है. आज के दौर में जिम जाने वाले नौजवान और डेस्क जॉब करने वाले प्रोफेशनल, दोनों ही इस समस्या से जूझ रहे हैं.' वे कहते हैं, 'उनके अनुसार, कंधे का जोड़ जितना लचीला है, उतना ही यह ओवरयूज़ (अधिक इस्तेमाल) के कारण चोटिल हो सकता है. लगातार वजन उठाने, गलत तरीके से एक्सरसाइज़ करने, या कंप्यूटर स्क्रीन की ओर झुककर बैठने से कंधे में रोटेटर कफ स्ट्रेन, इंपिंगमेंट सिंड्रोम, या फ्रोजन शोल्डर जैसी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं.
शुरुआती निदान और सही इलाज ही सबसे असरदार उपाय
डॉ. साईं इस बात पर ज़ोर देते हैं कि कंधे के किसी भी दर्द को हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर अगर वह कुछ दिनों से ज़्यादा बना रहे या हाथ की गतिशीलता पर असर डाल रहा हो. अगर दर्द बढ़ता जा रहा है, या कंधे को घुमाने में मुश्किल हो रही है, तो यह चेतावनी का संकेत है. वह बताते हैं कि अब चिकित्सा तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि आर्थोस्कोपिक (Arthroscopic) और मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की मदद से गंभीर कंधे की बीमारियों का इलाज बहुत आसानी से किया जा सकता है. इनसे न केवल दर्द से राहत मिलती है, बल्कि मरीज़ जल्दी अपनी सामान्य ज़िंदगी में लौट सकता है.
जागरूकता की कमी, लेकिन रोकथाम है संभव
दोनों विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि भारत में अभी भी कंधे के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बहुत कम है. लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक स्थिति बिगड़ न जाए. डॉ. साईं कहते हैं, 'छोटे-मोटे लक्षणों पर ध्यान देना और समय पर जाँच कराना बहुत ज़रूरी है. रोकथाम और शुरुआती इलाज ही लंबे समय तक जोड़ों के स्वास्थ्य की कुंजी हैं.'