जेल में कैदी क्यों नहीं पहनते कलरफुल कपड़े? इतिहास के पन्नों से समझ लीजिए
सबसे पहले धारीदार वर्दी जेल की सलाखों के तौर के रूप में डिजाइन की गई थी और बाद की जेल वर्दी की चौड़ी चौड़ी हॉरिजॉन्टल स्ट्राइप्स अपमान का सिंबल थीं, जो कैदी को अपराधी के रूप में दिखाती थीं.;
बॉलीवुड में क्राइम पर कई फिल्में बन चुकी हैं. जहां जेल में कैदियों को अक्सर सफेद रंग के धारीदार कपड़े पहने दिखाया जाता था, लेकिन सोचने की बात यह है कि ड्रेस के लिए यही रंग क्यों चुना गया. क्या दूसरे कलर्स की ड्रेस नहीं बनाई जा सकती थी? चलिए जानते हैं आखिर भारतीय कैदियों के लिए यही रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं.
19वीं में अमेरिका में ऑबर्न सिस्टमग्रे ब्लैक सिस्टम बनाया है, जिसके जरिए लोगों को पनिशमेंट दी जाती थी. इसमें कैदियों के रूल और ड्रेस कोड बनाया गया था. जहां मुजरिम शुरुआत में ग्रे-ब्लैक कलर का ड्रेस पहना करते थे.
क्यों कैदियों के लिए बनाई गई ड्रेस?
कैदियों के लिए ड्रेस इसलिए बनाई गई थी, ताकि वह बाकि लोगों से अलग नजर आए. अगर वह सबकी तरह दिखने लगे, तो पहचान करना मुश्किल हो जाएगा. साथ ही, अगर कोई कैदी जेल से फरार होने की कोशिश करता है, तो ड्रेस कोड के जरिए पकड़ने में आसानी होगी. साथ ही, ड्रेस के जरिए लोग आसानी से पुलिस को मुजरिम के बारे में बता पाएंगे.
ग्रे ब्लैक ड्रेस
ग्रे ब्लैक ड्रेस हटाने के पीछे एक कारण था. उस समय ग्रे ब्लैक लाइन ड्रेस को सिंबल ऑफ शेम के तौर पर देखा जाता था. इसके बाद कैदियों के ह्यूमन राइट्स के बारे में बात होने लगी, जिसके बाद ड्रेस का कलर बदल दिया गया. इसके बाद मुजरिमों के लिए ब्लैक-व्हाइट ड्रेस बनाई गई.
सफेद ड्रेस कोड के दूसरे कारण
सफेद रंग का कपड़ा कैदियों को एक-समान दिखाता है, जिससे सामाजिक अंतर को कम करने में मदद मिलती है. इसके अलावा, सफेद कपड़े सस्ते होते हैं और उन्हें धोना तथा बनाए रखना भी आसान होता है. सफेद रंग का कपड़ा कैदियों को साइकोलॉजिकली एक तरह से अलर्ट करने का काम करता है. वहीं, कैदियों के कपड़े सूती से बने होते हैं, जिसे जेल में ही तैयार किया जाता है. इसके चलते इन्हें बाहर से खरीदना नहीं पड़ता है.