अगर आप भी करते हैं 90 घंटे काम, तो जान लें इससे होने वाले नुकसान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक स्टडी में पाया गया कि हर हफ्ते 55 या उससे अधिक घंटे काम करने से स्ट्रोक का खतरा 35 प्रतिशत और हार्ट डिजीज से मौत का जोखिम 17 प्रतिशत बढ़ जाता है. लंबे समय तक काम करने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इसमें डायबिटीज से लेकर स्ट्रोक तक का खतरा शामिल है.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 11 Jan 2025 11:47 AM IST

L&T के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन अपने एक बयान से सुर्खियों में हैं, जहां उन्होंने कहा कि 90 घंटे काम करना चाहिए. वर्कर्स से 9-10 घंटे की नौकरी के बाद बचे 11 घंटों में नींद, काम, ट्रैवल और रिश्तों की जिम्मेदारियों को पूरा करने की अपेक्षा की जाती है, जो मुमकिन नहीं है. 

अब ऐसे में सवाल बनता है कि क्या हमारा शरीर ये सब कुछ कर पाने में सक्षम है? ज्यादातर लोग यह भूल जाते हैं कि ह्यूमन बॉडी एक कॉम्प्लेक्स मशीन है, जिसे चालू रखने के लिए मेंटेनेस और देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में चलिए जानते हैं 90 घंटे काम करने से बॉडी को क्या नुकसान हो सकता है?

क्या कहती है स्टडी?

एक स्टडी में पाया गया है कि जो महिलाएं हर हफ्ते 45 घंटे या उससे ज्यादा काम करती हैं, उनमें डायबिटिज का खतरा उन महिलाओं की तुलना में अधिक होता है, जो हर हफ्ते 35-40 घंटे काम करती हैं. वहीं, दूसरी स्टडी में बताया गया है कि जो लोग हर हफ्ते 52 घंटे से अधिक काम करते हैं, उनमें 35-40 घंटे करने वालों के मुताबिक डायबिटिज का जोखिम ज्यादा होता है.

डायबिटीज

लंबे समय तक काम करने के कारण ब्लड शुगर पर कई तरह से असर पड़ सकता है. इससे डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. काम पर लंबे समय तक रहने के दौरान अक्सर लोग खाना नहीं खाते हैं, जिससे ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव या गिरावट आ सकती है. लो ब्लड शुगर के कारण एनर्जी की कमी आने लगती है. ऐसे में लोग हाई कार्बोहाइड्रेट वाली चीजें खा लेते हैं, जिससे ब्लड शुगर बढ़ सकता है.

स्लीप और ब्रेन फ्रॉग

तनाव के अलावा नींद की कमी शरीर के ठीक होने की क्षमता कम हो जाती है. नींद बहुत जरूरी है, क्योंकि यह वह समय होता है, जब शरीर अपना काम करता है. दिन भर सेल्स में जमा होने वाले टॉक्सिन को बाहर निकालता है. नींद शरीर के मेटाबॉलिक फंक्शन को कंट्रोल करती है, जिसमें ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और सूजन को कंट्रोल करना शामिल है,

मोटापा

लंबे समय तक एक जगह बैठकर काम करने से फिजिकल एक्टिविटी में कमी आती है, जिससे मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है. इससे हार्ट हेल्थ पर असर पड़ता है. एक्टिविटी की कमी से खराब ब्लड सर्कुलेशन और मांसपेशियों में तनाव भी होता है. इसके कारण शरीर में दर्द और बेचैनी होती है और पाचन धीमा हो जाता है. ऐसे में गट हेल्थ पर असर पड़ता है और फिर डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं.

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