दिवाली के बाद स्मॉग से बीमार पड़ सकते हैं ये लोग, रहें सावधान

दीवाली के बाद होने वाला स्मॉग यूं तो हर किसी के लिए बेहद खतरनाक है, लेकिन कुछ लोग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। आपको बताते हैं कि किन लोगों को इस प्रदूषण से बचने की अधिक जरूरत है।;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 31 Oct 2024 12:01 AM IST

पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि दीवाली के अगले दिन प्रदूषण इतना बढ़ जाता है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है। दीवाली के बाद होने वाला स्मॉग यूं तो हर किसी के लिए बेहद खतरनाक है, लेकिन कुछ लोग इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। आपको बताते हैं कि किन लोगों को इस प्रदूषण से बचने की अधिक जरूरत है।

बुजुर्ग

बुजुर्गों का कमजोर इम्यून सिस्टम उन्हें वायु प्रदूषण के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाता है। प्रदूषण हार्ट डिजीज के खतरे को बढ़ाता है, जिससे दिल का दौरा और इससे जुड़ी अन्य समस्याएं हो सकती हैं। स्मॉग नाक और गले को परेशान करता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और फेफड़ों में सूजन आ जाती है।

बच्चे

स्मॉग बच्चों के लिए जहर की तरह है। उनके नाजुक फेफड़ों के विकास के दौरान स्मॉग का संपर्क बहुत हानिकारक होता है। बच्चों के बाहर खेलने की आदत के कारण वे स्मॉग के सबसे ज्यादा शिकार होते हैं। इससे न केवल अस्थमा, बल्कि निमोनिया और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज जैसे गंभीर फेफड़ों की बीमारियां भी हो सकती हैं।

सांस के मरीज

जिन लोगों को अस्थमा या पुरानी सांस की बीमारी है, उन्हें स्मॉग से सबसे ज्यादा नुकसान होता है। वे बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। स्मॉग की वजह से इनकी बीमारियां और भी बढ़ सकती हैं और उन्हें दिल का दौरा या लकवा भी हो सकता है। जब स्मॉग ज्यादा होता है तो इन लोगों को सांस लेने में बहुत दिक्कत होती है और अक्सर अटैक आ जाते हैं।

जो ज्यादातर रहते हैं बाहर

बाहर काम करने वाले लोगों को वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान होता है। वे आसानी से बीमार पड़ जाते हैं और उनकी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे कि सीओपीडी। आंखों में जलन, लाल होना और सूखापन भी आम समस्याएं हैं। दीवाली के बाद कुछ लोगों को गले में खराश और आवाज बैठने की समस्या भी हो सकती है।

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