क्या पेरेंट्स हो सकते हैं बच्चों के सामने इंटिमेट? क्या हो जब बच्चा ये सब देख ले, एक्सपर्ट से जानें

हाल ही में रणवीर अल्लाहबादिया के पेरेंट्स वाले बयान के बाद तहलका मच गया. इसके बाद कई लोगों के दिमाग में पेरेंट्स के सेक्स से जुड़े कई सवाल आए. जहां सबसे जरूरी बात यह है कि पेरेंट्स को बच्चों से सीधे बात करनी चाहिए, ताकि उनके दिमाग में कुछ भी अनसुलझा न रहे.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 25 Feb 2025 4:39 PM IST

यह बेहद नॉर्मल है कि ज्यादातर पेरेंट्स अपनी इंटिमेट लाइफ को पर्सनल रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन क्या हो अगर ऐसा हमेशा पॉसिबल नहीं हो? साथ ही, क्या पेरेंट्स को अपने बच्चों के सामने इंटिमेट होना चाहिए? इस मामले में द बिग बुक ऑफ़ पेरेंटिंग सॉल्यूशंस की राइटर डॉ. मिशेल बोर्बा के रिसर्च में कहा गया है कि अगर आपका बच्चा 6 महीने से छोटा है, तो टेंशन की कोई बात नहीं है.

लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, तो बॉडी को लेकर वह ज्यादा अवेयर होने लगते हैं. जहां वह अपने बॉडी पार्ट्स को छूना और ढूंढना शुरू कर सकते हैं. ऐसे में पेरेंट्स को इंटिमेट होते हुए देखने से बच्चे के मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इस तरह की चीजें उनके सबकॉन्शियस मांइड पर छाप छोड़ सकती हैं, जिससे उनके मन में समय से पहले और सेक्सुअल बिहेवियर को तलाशने की इच्छा पैदा हो सकती है.

क्या होता है बच्चों पर असर?

डॉ. चांदनी तुगनेट, एम.डी. (ए.एम.) मनोचिकित्सक, जीवन कीमियागर, कोच और हीलर, गेटवे ऑफ हीलिंग की संस्थापक और निदेशक ने कहा अगर बच्चे सेक्सुल एक्टिविटी देख और सुन सकते हैं, तो यह उनके सीखने की क्षमता पर असर डालता है. बच्चे इन चीजों को समझ नहीं पाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह इससे किसी को हार्म नहीं करेगा.

अवेयरनेस के स्टेज

साइको सेक्सुअल डेवलपमेंट सिगमंड फ्रायड थियरी के जरिए आप समझ सकते हैं कि बच्चे तीन फेज में अवेयरनेस के अलग-अलग स्टेज के जरिए से कैसे आगे बढ़ते हैं.

  • फैलिक स्टेज- पेनिस और क्लिटोरिस पर फोकस
  • द लैटेंट स्टेज- लिबिडिनल इंटरेस्ट के साथ एक शांत पीरियड
  • द जेनेटाइल स्टेज- प्यूबर्टी के दौरान जेनेटाइल पर फोकस

क्या हो सकती हैं समस्याएं?

फ्रायड के अनुसार, इन फेज में सक्सेसफुल नेविगेशन एक हेल्दी अडल्ट पर्सनैलिटी बनाता है. हालांकि, किसी भी फेज में चीजों के बारे में सही तरीके से न पता होने का नतीजा फिक्सेशन हो सकता है, जिससे लॉन्ग टर्म बिहेवियरल समस्याएं हो सकती हैं.  अगर बच्चे कम उम्र में यह सब देख लेते हैं, तो इसका उन पर कुछ हद तक बुरा असर पड़ सकता है. इस में प्यूबर्टी के दौरान बिहेवियर में बदलाव शामिल है. इससे सेक्सुअल क्यूरियोसिटी बढ़ती है. साथ ही, अडल्ट कंटेंट की लत या अपोजिट सेक्स के लिए समय से पहले अट्रैक्शन हो सकती है.  

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