बढ़ रहे हैं डिप्रेशन से आत्महत्या के मामले, जानें क्या होते हैं शुरुआती लक्षण
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आज शायद ही कोई जो किसी मानसिक समस्या से न जूझ रहा हो। हालांकि, बात तब और बिगड़ जाती है जब ये किसी गंभीर बीमारी की शक्ल ले ले। ऐसी ही स्थिति है डिप्रेशन।;
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आज शायद ही कोई जो किसी मानसिक समस्या से न जूझ रहा हो। हालांकि, बात तब और बिगड़ जाती है जब ये किसी गंभीर बीमारी की शक्ल ले ले। ऐसी ही स्थिति है डिप्रेशन। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में 8 लाख से ज्यादा लोग डिप्रेशन के कारण आत्महत्या कर लेते हैं। यह समस्या खासकर 15-29 साल के युवाओं में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके बावजूद, लोग अक्सर इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानने में असमर्थ रहते हैं, जो कि डिप्रेशन को और खतरनाक बना देता है।
आज समझते हैं डिप्रेशन के लक्षणों के बारे में।
तनाव की स्थिति में व्यक्ति का मूड तेजी से बदलने लगता है। कुछ लोगों में गलत सोच इतनी बढ़ जाती है कि वे खुद को हर काम में असफल मानने लगते हैं। धीरे-धीरे व्यक्ति अपनी क्षमताओं पर विश्वास खोने लगता है और उसे लगता है कि वह अब किसी भी काम के लायक नहीं है। अगर कोई व्यक्ति दो हफ्तों या उससे अधिक समय तक इस तरह के लक्षणों का सामना कर रहा है, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि उसे तुरंत मेडिकल चिकित्सकीय हेल्प लेनी चाहिए।
डिप्रेशन के शुरुआती लक्षण बहुत ही सामान्य प्रकृति के होते हैं, जिस कारण कई लोग इसे नजरअंदाज कर जाते हैं। इनमें से कुछ सामान्य लक्षणों में मन में निराशा का भाव, किसी भी काम में रुचि न होना, जीवन के प्रति उदासीनता, आत्मविश्वास में कमी और एक अजीब सी थकान महसूस होना शामिल है। ऐसे व्यक्ति को हर चीज व्यर्थ लगने लगती है और जीवन बेमतलब सा प्रतीत होता है।
डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए सबसे अहम कदम यह है कि वे इसे एक मानसिक बीमारी के रूप में समझें और इसका इलाज कराएं। आजकल, डिप्रेशन के इलाज के लिए कई मनोचिकित्सकीय विधियां और दवाएं उपलब्ध हैं, जिनसे व्यक्ति धीरे-धीरे अपनी मानसिक स्थिति में सुधार महसूस कर सकता है। जिन लोगों में यह लक्षण दिखाई देते हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे मनोचिकित्सक से मिलें और अपनी मानसिक सेहत पर ध्यान दें। सही समय पर उठाया गया कदम आपकी जिंदगी को बचा सकता है।