क्या होता है क्रोनिक हार्ट फेलियर, समझिए कारण और लक्षण
आज के दौर में हृदय रोग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक समय में जहां ये दिक्कतें बुढ़ापे में होती थीं, वहीं आजकल यह बच्चों में भी आम हो गई है।;
आज के दौर में हृदय रोग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक समय में जहां ये दिक्कतें बुढ़ापे में होती थीं, वहीं आजकल यह बच्चों में भी आम हो गई है। क्रोनिक हार्ट फेलियर दिल की समस्याओं में सबसे आम स्थिति है। क्रोनिक हार्ट फेलियर (CHF) एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल कमजोर हो जाता है और खून को ठीक से पंप नहीं कर पाता। कई बार, CHF और भी खराब हो जाता है, जिसे वर्सनिंग हार्ट फेलियर (WHF) कहते हैं। आपको इसके कारण और लक्षण जरूर जानने चाहिए।
क्या है क्रॉनिक हार्ट फेलियर?
जब किसी कारण हमारा दिल पूरी ताकत से खून पंप नहीं कर पाता तो इसे क्रॉनिक हार्ट फेलियर कहते हैं। ये बीमारी अक्सर हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज जैसी अन्य बीमारियों के कारण होती है। कई बार दवाओं के बावजूद भी ये बीमारी बढ़ सकती है, जिसे वर्सनिंग हार्ट फेलियर कहते हैं। इस स्थिति में मरीज को बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
ध्यान रहे, दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। समय पर डॉक्टर की सलाह लेने से इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है और अस्पताल में भर्ती होने से बचा जा सकता है।
जब हमारा दिल धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है, तो क्रोनिक हार्ट फेलियर हो सकता है। लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, दिल का दौरा या दिल के वाल्व में समस्या होने से दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है, जिससे यह बीमारी हो सकती है। इसके अलावा डायबिटीज और किडनी की बीमारी भी दिल को कमजोर बना सकती हैं।
क्रोनिक हार्ट फेलियर धीरे-धीरे होता है और शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं, जैसे थकान। इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जब बीमारी बढ़ जाती है, तो फेफड़े या शरीर के अन्य हिस्सों में पानी भर जाता है। इससे टखने सूज जाते हैं, सांस फूलती है और खांसी होती है। सबसे बड़ी गलती ये है कि लक्षण गंभीर हो जाने के बाद लोग डॉक्टर के पास जाते हैं।