महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा है हृदय रोग का खतरा, जानें अंतर

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल की बीमारियों से मरने की आशंका ज्यादा रहती है। खासकर, ये खतरा मेनोपॉज के बाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है।;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 30 Sept 2024 2:00 AM IST

इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में दिल की बीमारियों से मरने की आशंका ज्यादा रहती है। खासकर, ये खतरा मेनोपॉज के बाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है। भारत में हार्ट डिजीज महिलाओं की मौत का एक बड़ा कारण है, लेकिन अक्सर इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यूनीक फिजियोलॉजिकल, हार्मोनल और लाइफस्टाइल फैक्टर्स महिलाओं को काफी प्रभावित करते हैं। ऐसे में महिलाओं में दिल की समस्याओँ पर अलग से ध्यान देने की जरूरत है।

एस्ट्रोजेन, एक हार्मोन है जो महिलाओं की दिल की सेहत में प्रोटेक्टिव रोल अदा करता है, साथ ही लचीली धमनियों को बनाए रखने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ावा देने में मदद करता है। हालांकि, जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है और मेनोपॉज स्टेद में प्रवेश करती है, एस्ट्रोजन का स्तर काफी कम हो जाता है, जिससे हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है।

स्टडीज से पता चलता है कि पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे कंडीशन के डेवलप होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा, जो महिलाएं प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताओं जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज या प्रीक्लेम्पसिया का अनुभव करती हैं, उनमें जिंदगी के बाद वाले स्टेज में दिल की बीमारी विकसित होने की संभावना अधिक होती है।

महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण अक्सर पुरुषों से अलग होते हैं, जिसके कारण डायग्नोसिस ज्यादा मुश्किल हो जाता है। पुरुषों को आमतौर पर दिल का दौरा पड़ने के दौरान सीने में दर्द का अहसास होता है जबकि महिलाओं को थकान, सांस की तकलीफ, मतली या जबड़े, पीठ या गर्दन में असहजता जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

ये एटिपिकल सिंप्टम्स अक्सर महिलाओं में देरी से इलाज का कारण बनते हैं, क्योंकि उन्हें अक्सर कम सीरियस हेल्थ प्रॉब्लम्स समझने की गलती कर दी जाती है। अगर हम लिंग आधारित इन लक्षणों को सही वक्त पर पहचानेंगे तो टाइम पर डायग्नोसिस और प्रिवेंशन मुमिकिन हो पाएगा।

ऐसे रखें ख्याल

एक हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल, जिसमें सेचुरेटेड फैट और शुगर में संतुलित आहार, रेगुलर फिजिकल एक्टिविटीज और तंबाकू के इस्तेमाल से बचना शामिल है, ये जोखिम को काफी कम कर सकता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करने के लिए रूटीन चेक-अप करना चाहिए, खासकर पोस्ट मेनोपॉजल वूमेन के लिए ये और भी जरूरी है।

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