हार के बाद एकनाथ शिंदे पर हमलावर हुए उद्धव ठाकरे, कहा- 'फणडवीस के नीचे करना होगा काम'
महाराष्ट्र चुनाव खत्म होने के बाद एक बार फिर शिवसेना में असली और नकली की बहस छिड़ी. वहीं उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए कहा कि अब उन्हें देवेंद्र फणडवीस के नीचे रहकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि लेकिन पहले यह तय करें कि आपको कौन सा बंगला मिलेगा;
मुंबईः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव खत्म हुआ. शिवसेना उद्धव गुट को करारी हार का सामना करना पड़ा. लेकिन इस हार के बाद उद्धव ठाकरे के बाद जब ये सवाल किया गया कि क्या इस परिणाम से इस बहस पर विराम लगा कि आखिर असली शिवसेना किसकी? कौन इसका प्रतिनिधित्व करता है. खुद उद्धव ठाकरे या फिर उनसे अलग हुए सहयोगी और मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे.
इस चुनाव में उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना पार्टी को 20 सीटों पर ही सिमटना पड़ा. लेकिन एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना 60 सीटों पर लीड पर रही. नतीजों से साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना को नकार दिया है. साल 2022 में उद्धव के हाथ से गई सरकार अब तक सत्ता में वापिसी नहीं हो पाई है.
उद्धव का शिंदे गुट पर वार
इस हार के बाद जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि अब आप सभी को देवेंद्र फडणवीस के नीचे रह कर काम करवा होगा. लेकिन पहले यह तय करें कि आपको कौन सा बंगला मिलेगा. हालांकि उन्होंने ये भी बात दोहराई कि असली और नकली के पहचान को लेकर चल रही काननी लड़ाई अभी भी कोर्ट में जाहिर है. इस पर उन्होंने दुख जताया क्योंकी अब तक इस पर फैसला नहीं सुनाया गया है.
दरअसल महाराष्ट्र में अब मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर फैसला होना बाकी है. देवेंद्र फणडवीस को CM बनाए जाने की संभावना प्रबल है. ऐसे में उद्धव ठाकरे ने शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि फणडवीस सीएम बनते हैं, तो शिंदे को उनके अधीन रहकर काम करना होगा. लेकिन उससे पहले ये तय करना होगा कि आपको बंगला कौन सा मिलेगा? ऐसा इसलिए क्योंकी यदी CM शिंदे के हाथ से कुर्सी गई तो उन्हें मुख्यमंत्री आवास वर्षा को खाली करना होगा. बंगले से उनका एक और मतलब यह भी है कि शिंदे के नेतृत्व में विद्रोह था जिसने शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार गिरने के बाद उद्धव ठाकरे को वर्षा छोड़ने के लिए मजबूर किया.
शिंदे बनाम उद्धव शिवसेना
शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के बीच अकसर असली और नकली की लड़ाई चलती रहती है. साल 2019 में इस लड़ाई की शुरुआत हुई थी. जब उद्धव ठाकरे गुट ने एनडीए से अलग होकर कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन किया था. इस गठबंधन के बाद उद्धव ठाकरे से पार्टी के कई लोगों ने नाराजगी जताई और अलग होने का फैसला किया. पार्टी से अलग होते ही उन्होंने अपनी मूल हिंदुत्व अजेंडा को छोड़ने का आरोप लगाया. आखिरकर 2022 में एकनाथ शिंदे की लीडरशिप में विद्रोह गया. राजनीतिक परिदृश्य बदला. उद्धव ठाकरे की सरकार गिरी और एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने.
इतनी सीटों पर मिली जीत
बता दें कि शिवसेना (UBT) गुट ने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा. इनमें उन्हें सिर्फ 20 ही सीटों पर जीत मिली है. वहीं शिंदे गुट ने 80 सीटों पर चुनाव लड़ा और उन्हें 57 सीटें जीती हैं. कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनावों की तुलना में ये नतीजे चौंकाने वाले हैं. आम चुनाव में सेना (यूबीटी) ने नौ सीटें जीती थीं और शिंदे सेना ने सात सीटें जीती थीं. और पांच महीने बाद, इसकी संख्या अलग हुए गुट के स्कोर के आसपास भी नहीं है. यह टीम ठाकरे के लिए निराशाजनक होगा, जो उम्मीद कर रही थी कि उसके पोल शो साबित करेंगे कि वह 'असली' सेना है.
शिंदे के हाथ से जा सकती CM की कुर्सी?
इस बार के चुनाव में बीजेपी ने 148 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जिसमें से 133 सीटों पर उन्हें भारी बहुमत मिली. अब इस जीत के बाद बीजेपी CM पद की दावेदारी के लिए अपना उम्मीदवार ही पेश कर सकती है. क्योंकी शिंदे गुट को इस बार 80 सीटें मिली ऐसे में उनके पास सौदेबाजी करने के लिए बहुमत कम है. इसलिए उनके हाथ से CM की कुर्सी जा भी सकती है. वहीं बात करें बीजेपी की तो BJP अपने सहयोगी दल के साथ बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है. ऐसे में बीजेपी CM की कुर्सी की अगर मांग करती है तो श्री शिंदे के पास मुख्यमंत्री पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.