इफ्तार की आड़ में जासूसी का ट्रैप! कौन है दानिश जिसके जाल में फंसी ज्योति मल्होत्रा?

हरियाणा की ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. जांच में सामने आया कि वह पाकिस्तानी अधिकारी दानिश से संपर्क में थी और ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य जानकारी लीक कर चुकी थी. इफ्तार डिनर का वीडियो उसके जासूसी नेटवर्क का बड़ा सबूत बना. दानिश को भारत से निष्कासित किया गया है.;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 18 May 2025 2:01 PM IST

हरियाणा के हिसार की यूट्यूबर और ट्रैवल ब्लॉगर ज्योति मल्होत्रा की पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तारी उस समय हुई जब देश की खुफिया एजेंसियों को उसके संदिग्ध कृत्यों से जुड़ी कई अहम जानकारी मिली.

ज्योति की विदेश यात्राएं, सोशल मीडिया गतिविधियां और संदिग्ध संपर्क एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनीं. इसके बाद विस्तृत जांच शुरू की गई, जिसमें उसकी पाकिस्तान उच्चायोग में हुए इफ्तार पार्टी वाले वीडियो को भी अहम माना गया.

इफ्तार पार्टी का वीडियो

मार्च 2024 में ज्योति ने सोशल मीडिया पर नई दिल्ली के पाकिस्तान उच्चायोग में आयोजित इफ्तार डिनर का वीडियो शेयर किया था. इस वीडियो में वह आयोजन की भव्यता की तारीफ करते हुए पाकिस्तान जाने की इच्छा प्रकट करती नजर आई. वीडियो में वह पाकिस्तानी अधिकारी अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के साथ स्पष्ट रूप से परिचित और आरामदायक बातचीत करती है. उसकी यह सहजता और पुरानी जान-पहचान जांच एजेंसियों के लिए पहली बड़ी लाल झंडी बनी.

कौन है अहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश?

अहसान-उर-रहीम, जिसे ज्योति ‘दानिश’ कहकर बुलाती है, पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात एक अधिकारी था, जिसके खिलाफ भारत सरकार ने जासूसी के गंभीर आरोप लगाए हैं. भारतीय खुफिया एजेंसियों के अनुसार, दानिश ने भारत के संवेदनशील सैन्य और कूटनीतिक जानकारियां पाकिस्तान के खुफिया तंत्र को दीं. इसके चलते भारत सरकार ने उसे पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित कर 13 मई 2025 को 24 घंटे के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया.

ज्योति की पाकिस्तान यात्राएं

ज्योति मल्होत्रा पहली बार 2023 में एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पाकिस्तान गई थी. वहीं उसकी दानिश से मुलाकात हुई, जिसके बाद उसने लगातार उससे संपर्क बनाए रखा. दानिश की सिफारिश पर ज्योति ने पाकिस्तान की दूसरी यात्रा की, जहां उसकी मुलाकात अली अहसान से हुई. अली ने उसे पाकिस्तान में यात्रा और ठहराव की पूरी व्यवस्था कराई. साथ ही, उसे पाकिस्तानी सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों शकीर और राणा शाहबाज से भी मिलवाया गया, जो ज्योति के संदिग्ध जासूसी नेटवर्क का हिस्सा थे.

संदिग्ध नामों के पीछे की साजिश

ज्योति ने अपने फोन में शकीर का नंबर ‘जट रंधावा’ के नाम से सेव किया था, ताकि संदिग्ध गतिविधियां छुपाई जा सकें. जांच एजेंसियों का कहना है कि ज्योति ने बाद में इन संदिग्धों को भारतीय सैन्य ठिकानों, ऑपरेशन सिंदूर जैसी संवेदनशील सैन्य कार्रवाइयों से जुड़ी जानकारियां भेजना शुरू कर दिया था. यह सबूत डिजिटल चैट, फोन रिकॉर्ड और सोशल मीडिया गतिविधियों से मिला है.

ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी

ज्योति ने पाकिस्तान को भारत के सैन्य ठिकानों की न केवल सामान्य जानकारियां दीं, बल्कि पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी महत्वपूर्ण और संवेदनशील सूचनाएं भी साझा कीं. इसके चलते सेना की कार्यवाही, रणनीति और स्थान पाकिस्तान की नजर में आ गए. अधिकारियों के अनुसार, यह भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा था.

राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर

इस पूरे मामले को भारत सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर माना है. ज्योति मल्होत्रा को फिलहाल 5 दिन की पुलिस रिमांड पर रखा गया है, जहां से आगे की पूछताछ की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि मामले में और भी खुलासे हो सकते हैं. इस जासूसी कांड से यह साफ हो गया है कि सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए भी राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना बड़ा खतरा हो सकता है, इसलिए सुरक्षा एजेंसियां ऐसे मामलों पर पूरी सतर्कता बरत रही है.

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