10 हत्याओं का गुनाहगार, राजनीति में दबदबा और फिर जेल… अरुण गवली की डेंजरस दास्तां

मुंबई के अंडरवर्ल्ड का कुख्यात चेहरा अरुण गवली, जिसे लोग ‘डैडी’ कहकर बुलाते थे, 17 साल बाद जेल से रिहा हो गया है. गवली पर 10 हत्याओं समेत कई संगीन अपराधों का आरोप साबित हुआ था. दगड़ी चाल से निकलकर उसने गैंगवार और फिरौती के दम पर अपना आतंक खड़ा किया. धीरे-धीरे उसने राजनीति का रुख किया और विधायक बनकर अपनी पकड़ मजबूत की. गवली की रिहाई ने एक बार फिर मुंबई की उस खौफनाक दुनिया की याद दिला दी, जहां अपराध और राजनीति की मिलीभगत हावी थी.;

( Image Source:  Social Media )
By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 3 Sept 2025 6:20 PM IST

अंडरवर्ल्‍ड डॉन 70 वर्षीय अरुण गवली, जिन्हें उनके अनुयायियों ने ‘डैडी’ के नाम से जाना, बुधवार को लगभग 17 साल की कैद के बाद जेल से बाहर आए. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमानत के बाद गवली ने नागपुर सेंट्रल जेल की सलाखों से बाहर कदम रखा.

उन्हें 2007 में मुंबई के शिवसेना कॉर्पोरेटर कमलाकर जमसंदेकर की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. जेल के बाहर उनके परिवार, कानूनी टीम और समर्थकों ने उनका जोरदार स्वागत किया. आइए जानते हैं कि कौन हैं अरुण गवली और क्यों उनकी कहानी भारतीय अंडरवर्ल्ड और राजनीति में इतनी चर्चित रही.

कौन हैं अरुण गवली?

अरुण गवली मुंबई के पूर्व अंडरवर्ल्ड डॉन रहे हैं, जिन्होंने बाद में राजनीति में कदम रखा. उनका उदय भायखला के दगडी चॉल इलाके से हुआ, जो उनका गढ़ और प्रभाव का प्रतीक बन गया. 1980 और 1990 के दशक में, गवली ने मुंबई अंडरवर्ल्ड में डर और खौफ का वातावरण बनाया. गवली का नाम गैंग-राइवलियों, वसूली और संगठित अपराध से जुड़ा. उनके अनुयायियों के बीच उन्हें प्यार से ‘डैडी’ कहा जाता था. इसके बावजूद, उन्होंने राजनीति में कदम रखा और अपनी पार्टी अखिल भारतीय सेना (ABS) बनाई. उन्होंने चिंचपोकली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और 2004 से 2009 तक विधायक रहे.

हत्या का मामला और सजा

अरुण गवली को 2006 में शिवसेना कॉर्पोरेटर कमलाकर जमसंदेकर की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया. यह केस महाराष्ट्र के ऑर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (MCOCA) के तहत दर्ज किया गया, जो राज्य में संगठित अपराध से निपटने के लिए बनाया गया था. 2012 में मुंबई की सेशंस कोर्ट ने गवली को उम्रकैद की सजा सुनाई और 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इसके बाद, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में इस फैसले की पुष्टि की. इसके बाद गवली ने मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का फैसला किया.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने ध्यान दिया कि गवली ने जेल में 17 साल से अधिक समय बिताया है और उनकी अपील अभी लंबित है. न्यायाधीशों एमएम सुंदरश और एन कोटिस्वर सिंह की बेंच ने उनके बुजुर्ग होने और लंबे समय तक जेल में रहने को ध्यान में रखते हुए जमानत मंजूर की. 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी, जिसके लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा तय शर्तें लागू रहेंगी. मामला फरवरी अगले साल के लिए अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

अरुण गवली की गिरफ्तारी कब और क्यों हुई?

अरुण गवली को 2006 में जमसंदेकर हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया. यह केस MCOCA के तहत दर्ज किया गया था, जो संगठित अपराध से लड़ने के लिए कड़ा कानून है. 2012 में मुंबई सेशंस कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद और 17 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2019 में इस फैसले की पुष्टि की, जिसके बाद गवली ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

गवली का अंडरवर्ल्ड और राजनीतिक सफर

अरुण गवली की कहानी सिर्फ अपराध और जेल तक सीमित नहीं है. दगडी चॉल से उन्होंने एक मजबूत अंडरवर्ल्ड नेटवर्क बनाया और बाद में राजनीति में भी अपनी पकड़ मजबूत की. उनकी पार्टी ABS ने मुंबई में स्थानीय राजनीति में प्रभाव डाला. गवली का जीवन अक्सर फिल्मों और किताबों में भी चित्रित किया गया है. उनके चरित्र की लोकप्रियता और विवादास्पद गतिविधियां आज भी मुंबई के अंडरवर्ल्ड की चर्चा में रहती हैं.

जमानत और रिहाई का मतलब

अरुण गवली की रिहाई सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारतीय अंडरवर्ल्ड और राजनीति के दोहरे प्रभाव की कहानी है. जेल से बाहर आने के बाद उनका स्वागत उनके समर्थकों, परिवार और कानूनी टीम ने किया. अब सवाल यह है कि राजनीतिक गलियारों में उनका भविष्य क्या होगा और क्या वे समाज में अपनी नई भूमिका निभा पाएंगे.

Similar News