ट्रेडमार्क विवाद में उठा बड़ा मुद्दा: सुप्रीम कोर्ट ने पूछा - ‘ व्हिस्की का टेट्रा पैक खतरनाक, बच्चों को इसे बेचने की इजाजत क्यों?

व्हिस्की के टेट्रा पैक पर चल रहे ट्रेडमार्क विवाद के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर बच्चों की पहुंच तक शराब वाले ये पैक आसानी से कैसे पहुंच जाते हैं और इसे बेचने की अनुमति क्यों दी गई है? सुप्रीम कोर्ट ने इसकी बिक्री पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह तो बहुत खतरनाक है. केंद्र इस पर अपना पक्ष रखे.;

Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 18 Nov 2025 12:20 PM IST

व्हिस्की के एक टेट्रा पैक को लेकर चल रहे ट्रेडमार्क विवाद की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सवाल उठाया है. शीर्ष अदालत ने इसकी बिक्री पर चिंता भी जाहिर की है. अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर टेट्रा पैक में बेची जाने वाली शराब बच्चों के हाथों में कैसे पहुंच जाती है और ऐसी पैकिंग को अनुमति क्यों दी गई है? कोर्ट ने कहा कि यह सिर्फ ट्रेडमार्क का नहीं बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा और नीति से जुड़ा मसला भी है.

इस बात का खुलासा सुप्रीम कोर्ट में दो प्रमुख व्हिस्की उत्पादों के बीच ट्रेडमार्क को लेकर चल रहे विवाद की सुनवाई में हुआ. दक्षिण-पश्चिम भारत में उनकी बिक्री का एक बड़ा हिस्सा छोटे टेट्रा पैक के जरिए होता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर) को आश्चर्य जताया कि राज्य शराब की ऐसी पैकिंग की अनुमति क्यों दे रहे हैं?

इन मसलों पर केंद्र दे स्पष्टीकरण

  • क्या टेट्रा पैक पैकेजिंग शराब के लिए सुरक्षित है?
  • क्या इससे नाबालिगों को शराब तक पहुंच आसान होती है?
  • पैकेजिंग की अनुमति प्रक्रिया में कौन से मानक अपनाए जाते हैं?
  • बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए क्या किसी समीक्षा की जरूरत है?

जूस पैक जैसा दिखता है टेट्रा पैक

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, "यह बहुत खतरनाक है. यह जूस के टेट्रा पैक जैसा दिखता है. कल्पना कीजिए कि यह बच्चों के हाथों में पड़ जाए? माता-पिता और शिक्षकों को यह शक भी नहीं होगा कि टेट्रा पैक में नशीले पदार्थ होते हैं."

टेट्रा पैक की बिक्री 30 हजार करोड़

यह मामला एलाइड ब्लेंडर्स, जो 'ऑफिसर्स च्वाइस' बनाती है और जॉन डिस्टिलर्स, जो अपनी व्हिस्की को ओरिजिनल चॉइस ब्रांड नाम से बेचती है, से जुड़ा था. जॉन डिस्टिलर्स की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, यह जूस के टेट्रा पैक जैसा दिखता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कल्पना कीजिए कि यह बच्चों के हाथों में पड़ जाए. दोनों कंपनियों की बिक्री 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. अकेले कर्नाटक में टेट्रा पैक्स का कारोबार 65% है."

टेट्रा पैक की बिक्री को लेकर दोनों कंपनी के बीच व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता में एक दिलचस्प मोड़ तब आया जब दोनों कंपनियों ने एक-दूसरे द्वारा इस्तेमाल किए गए ट्रेडमार्क में सुधार की मांग करते हुए बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड (आईपीएबी) का रुख किया. एक साझा आदेश के जरिए, आईपीएबी ने दोनों याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ट्रेडमार्क में ऐसी कोई समानता नहीं है, जिससे उपभोक्ता भ्रमित हों.

7 नवंबर को मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 'ऑफिसर्स चॉइस' से समानता के कारण ओरिजिनल च्वाइस ट्रेडमार्क में सुधार का आदेश दिया. इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई, जहां विभिन्न आकृतियों की बोतलें और टेट्रा पैक पीठ को दिखाए गए.

आपसी सहमति से निकालें समाधान

एलाइड ब्लेंडर्स की ओर से अधिवक्ता हरीश साल्वे, ए.एम. सिंघवी और एन.के. कौल, जॉन डिस्टिलर्स की ओर से मुकुल रोहतगी और श्याम दीवान के विरुद्ध खड़े हुए, पीठ ने पूछा, "विभिन्न मंचों पर भीषण लड़ाई के बावजूद, क्या समझौते की कोई संभावना है?"

दोनों पक्षों द्वारा मध्यस्थता के माध्यम से समझौता करने की इच्छा के बीच, पीठ ने सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव से अनुरोध किया कि वे दोनों कंपनियों के व्हिस्की उत्पादों पर लेबल को लेकर चल रहे विवाद का सौहार्दपूर्ण समाधान निकालने के लिए मध्यस्थ के रूप में कार्य करें.

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