घड़ी और तुतारी साथ-साथ, चाचा-भतीजा मिलकर लड़ेंगे पिंपरी-चिंचवड़ का निगम चुनाव; जनता के भरोसे को जोड़ पाएगा पवार परिवार?

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. डिप्टी सीएम Ajit Pawar ने ऐलान किया है कि उनकी एनसीपी और Sharad Pawar गुट पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे. दो साल बाद पवार परिवार के एकजुट होने से सियासी समीकरण बदलते दिख रहे हैं. ‘घड़ी’ और ‘तुतारी’ के साथ आने को कार्यकर्ता मजबूती के संकेत के तौर पर देख रहे हैं. सीट शेयरिंग पर बातचीत जारी है और 15 जनवरी को होने वाले चुनाव में यह गठबंधन कितना असर डालेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 29 Dec 2025 11:54 AM IST

सियासत में टूटे रिश्ते अक्सर चुनावी मजबूरियों में जुड़ते हैं, लेकिन जब एक ही परिवार दो साल बाद फिर साथ आने का ऐलान करे, तो बात सिर्फ़ सीटों और समीकरणों की नहीं रह जाती. पिंपरी-चिंचवड़ की एक रैली में जब “परिवार फिर साथ है” का नारा गूंजा, तो कार्यकर्ताओं की तालियों में उम्मीद, राहत और थोड़ी हैरानी तीनों साफ़ झलक रही थीं.

महाराष्ट्र की राजनीति में ‘पवार परिवार’ सिर्फ़ एक नाम नहीं, एक परंपरा और प्रभाव का प्रतीक रहा है. अब, नगर निगम चुनाव से ठीक पहले, बिखरे हुए धड़े एक मंच पर दिखे. सवाल यह नहीं कि गठबंधन क्यों हुआ, सवाल यह है कि क्या यह साथ जनता के भरोसे को फिर से जोड़ पाएगा?

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‘पवार परिवार’ की वापसी

डिप्टी सीएम और एनसीपी प्रमुख Ajit Pawar ने पिंपरी-चिंचवड़ की रैली में घोषणा की कि उनकी पार्टी और Sharad Pawar गुट मिलकर नगर निगम चुनाव लड़ेंगे. यह ऐलान उम्मीदवारों की सूची तय करते वक्त हुई बातचीत के बाद लिया गया यानी फैसला अचानक नहीं, ज़मीनी गणित से निकला.

चिह्नों का मिलन: ‘घड़ी’ और ‘तुतारी’

अजित पवार ने प्रतीकों के ज़रिये संदेश दिया घड़ी और तुतारी एक साथ. यह संकेत सिर्फ़ चुनावी तालमेल का नहीं, बल्कि उन कार्यकर्ताओं को भरोसा देने का था जो दो धड़ों में बंटकर असमंजस में थे. प्रतीक बदले हों, पर वोटर के लिए पहचान अब फिर साझा बताई गई.

विकास के हित में लेना पड़ा फैसला

अजित पवार ने कहा कि कई फैसले “महाराष्ट्र के विकास” के हित में लेने पड़ते हैं. यह बयान सीधे उन सवालों का जवाब था जो 2023 के विभाजन के बाद लगातार उठते रहे—क्या मतभेद स्थायी हैं, या राजनीति में सब कुछ समय के साथ बदलता है?

एनसीपी का गढ़ है पिंपरी-चिंचवड़

पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम राज्य के सबसे समृद्ध निकायों में गिना जाता है और 2017 से पवारों की अगुवाई वाली एनसीपी का गढ़ रहा है. ऐसे में यहां संयुक्त लड़ाई का फैसला रणनीतिक भी है. यहां जीत, राज्यव्यापी संदेश देती है.

सीट शेयरिंग और अनुशासन

अजित पवार ने बताया कि स्थानीय स्तर पर सीटों के बंटवारे पर चर्चा हो चुकी है और जल्द औपचारिक ऐलान होगा. साथ ही कार्यकर्ताओं को चेताया गया कि कोई विवादित बयान गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है यानी एकजुटता शब्दों से ज़्यादा व्यवहार में दिखनी चाहिए.

सरनेम पॉलिटिक्स

इस मेल पर सियासी प्रतिक्रियाएं भी तेज़ रहीं. किसी ने इसे स्वाभाविक बताया, तो किसी ने ‘सरनेम पॉलिटिक्स’ कहकर खारिज किया. आलोचकों का कहना है कि नाम से नहीं, काम से वोट मिलते हैं. यह तंज़ सीधे जनता के मूड की ओर इशारा करता है. दिलचस्प यह भी है कि यह मेल ऐसे समय हुआ जब पुणे नगर निगम को लेकर बातचीत के विफल होने की खबरें थीं. यानी क्षेत्रवार रणनीति अलग हो सकती है. जहां फायदा दिखा, वहां साथ; जहां नहीं, वहां विकल्प खुले.

जनता की कसौटी

अंततः यह गठबंधन जनता की अदालत में परखा जाएगा. क्या यह साथ शहर के विकास, कर्ज़ से मुक्ति और प्रशासनिक स्थिरता देगा? या यह सिर्फ़ चुनावी मजबूरी बनकर रह जाएगा? पवार परिवार का मिलन हुआ है अब अगला फैसला वोटर करेगा.

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