लड्डू विवाद पर कंपनी के अधिकारी ने दी सफाई, कह डाली ये बात
तिरुपति देवस्थानम तिरुमाला मंदिर में प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद पर नया मोड़ सामने आया है. मिलावटी घी की आपूर्ति करने के आरोप में कटघरे में खड़ी तमिलनाडु स्थित कंपनी एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड के एक कर्मचारी ने कंपनी के खिलाफ आरोपों को "बेतुका" बताया है. उन्होंने कहा कि हम सालों से घी का उत्पादन कर रहे हैं.;
नई दिल्लीः तिरुपति देवस्थानम तिरुमाला मंदिर में प्रसाद को लेकर चल रहे विवाद पर नया मोड़ सामने आया है. मिलावटी घी की आपूर्ति करने के आरोप में कटघरे में खड़ी तमिलनाडु स्थित कंपनी एआर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड के एक कर्मचारी ने कंपनी के खिलाफ आरोपों को "बेतुका" बताया है.
दरअसल टीटीडी ने फर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने के की बात कही थी. इसके एक दिन बाद कंपनी के एक कर्मचारी ने इस आरोप का खंडन किया कि घी तैयार करने के लिए मछली के तेल का इस्तेमाल नहीं हुआ है. पार्टी द्वारा फर्म पर लगाए आरोपों को कर्मचारी ने बेतुका बताया है.
गंध से हो सकती है असली नकली की पहचान
फर्म के अधिकारी कनन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि घी में किसी भी तरह की मिलावट को तुरंत ही गंध की मदद से पता लगाया जा सकता है. अधिकारी का कहना है कि “वनस्पति तेल से लेकर पशु वसा में मिलावट तक के ये आरोप हमारे व्यवसाय को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा रहे हैं. इसके अलावा, यह दावा कि मछली का तेल मिलाया गया था, बेतुका है; मछली का तेल घी से भी महंगा है. द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उन्होंने एक तमिल चैनल को बताया, ''इस तरह की किसी भी मिलावट का केवल गंध से तुरंत पता लगाया जा सकता है.''
1998 से कर रहे घी का उत्पादन
संबंधित अधिकारी ने रहा कि हमारी कंपनी साल 1998 से घी का उत्पादन करती आ रही है. साथ ही यह भी बताया कि घी के लिए खरीदा जाने वाला दूध 102 गुणवत्ता जांच से गुजरता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा घी टीटीडी द्वारा ही पारित किया गया है. उनका कहना है कि घी के कुछेक सैंपल्स को टीटीडी भेजे जाने से पहले लैबोर्टरी में परीक्षण किया जाता है. इसके बाद टीटीडी खुद इसकी जांच करती है.
लोगों को नहीं बख्शेगी सरकार
वहीं आंध्र प्रदेश के एक मंत्री नारा लोकेश ने कहा कि सरकार मंदिर के प्रसाद में लड्डुओं में इस्तेमाल होने वाले जानवरों के ऑयल इस्तेमाल करने वाले को नहीं बख्शेगी.