भारत और चीन के बीच सीमा पर पेट्रोलिंग समझौते के ये हैं मायने, ड्रैगन ने भी दिखाई हरी झंडी

भारत और चीन के बीच सीमा पर गतिरोध को लेकर हाल ही में समझौता हुआ है. जून 2020 से जारी इस तनाव के बीच, दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति जताई है. इस सहमति का महत्व इस दृष्टि से है कि बीते चार साल पहले दोनों देशों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.;

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Edited By :  सागर द्विवेदी
Updated On : 22 Oct 2024 3:03 PM IST

भारत चीन के रिश्तों पर नज़र रखने वालों के लिए एक खबर सामने आई है. जून 2020 से सीमा पर गतिरोध झेल रहे भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पीछे हटने को लेकर सहमति जताई. पिछले चार साल से दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के संबंध दशकों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे.

इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सैनिकों में हुई झड़प को लेकर कहा कि पहले की तरह एक बार फिर से सीमा क्षेत्र में भ्रमण कर सकेंगे, तो वहीं चीन ने भी मंगलवार को पुष्टि है कि वह पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए वो भारत के साथ एक समझौते पर पहुंच गया है.  इसी के साथ इस खबर में आइए जानते हैं कि आइए जानते हैं गलवान में क्या हुआ? भारत और चीन पीछे हटने पर कैसे सहमत हुए?

गलवान में क्या हुआ?  

पूर्वी लद्दाख के गलवान में 2020 में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे और चीन के भी कई सैनिकों की मौत हुई थी. लेकिन इस हिंसक झड़प से दोनों देशों के व्यापार में असर नहीं पड़ा. दोनों देशों के बीच 2022 में 135.98 अरब डॉलर के मुकाबले 2023 में 136 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अक्टूबर को विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि LAC पर स्थिति एक बार फिर से मई 2020 के जैसे होगी. विदेश मंत्री का यह बयान दौरान घटनाक्रम से ठीक एक महीने पहले आया जिसमें उन्होंने कहा कि चीन के साथ करीब 75 प्रतिशत सैन्य समस्याओं का निपटारा हो गया है.

भारत और चीन के बीच समझौते में क्या?

BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, बात करें भारत और चीन के बीच समझौते में क्या है तो उन सभी इलाकों में एक बार फिर से पेट्रोलिंग होगी, जहां आज से 4 साल पहले होती थी. इसमें देपसांग के अलावा पीपी10 से पीपी13 तक का इलाक़ा शामिल है. ये भी पता चला है कि महीने में दो बार पेट्रोलिंग होगी और झड़प से बचने के लिए सैनिकों की संख्या 15 तक सीमित कर दी गई है.'

2020 में हुए झड़प के बाद दोनों देशों की स्थिति

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने सोमवार को कहा कि 2020 में पूर्व लद्दाख में चीनी सेना की कार्रवाई के बाद पैदा हुए मुद्दों को सुलझाने के उद्देश्य से सप्ताह तक चली बातचीत के बाद भारतीय और चीनी के वार्ताकारों ने इस समझौते को अंतिम रूप दिया. भारतीय और चीनी सैनिक पहली बार 5 मई, 2020 को पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर भिड़ गए थे. 15 जून की रात को गलवान घाटी में एक भारतीय गश्ती दल और पीएलए सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई थी जिसमें दोनों पक्षों के जवान हताहत हुए थे.

दोनों देशों के बीच क्यों महत्वपूर्ण समझौता?

भारत और चीन के इस समझौते में तनाव कम करने की दिशा में एक कदम है. जहां दोनों देशों ने हजारों सैनिकों को तैनात किया हुआ है. पिछले चार साल से पुराने मानदंडों पर वापस लौटने से नजदीकी सैन्य मुठभेड़ों के कारण झड़पों या तनाव बढ़ने की संभावना कम हो जाती है.

चार साल पहले शर्तों के मुताबिक, भ्रमण करना शुरू करना एक विश्वास- निर्माण उपाय है. यह दोनों पक्षों की आपसी इच्छा को दर्शाता है कि वे उस यथास्थिति पर वापस लौटना चाहते हैं जिसे वे हाल के तनावों से पहले स्वीकार्य मानते थे. यह आगे की बातचीत का मार्ग भी बनाता है.

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