Indian Navy के लिए गेम चेंजर है यह अमेरिकी विमान, दुश्‍मन की पनडुब्‍बी का भी छुपना है मुश्किल

बेहद एडवांस रडार सेंसरों से लैस ये पी-8आई विमान हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाएंगे, विशेष रूप से इस क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की उपस्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच. चीन के जहाज और पनडुब्बियां अक्‍सर इन क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 20 Feb 2025 11:16 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका दौरे से लौटे और उनके इस दौरे को लेकर जिस बात की सबसे ज्‍यादा चर्चा हुई वो था पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान एफ-35, जिसे भारत को बेचने को लेकर राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने हामी भरी है. दोनों ही नेताओं ने कई अन्‍य रक्षा सौदों पर भी मुहर लगाई. उनमें से एक विमान है P-8I, जिसकी चर्चा बहुत कम हुई है. हालांकि दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों की बैठक के बाद जारी संयुक्‍त बयान में इसका जिक्र जरूर था, लेकिन यह सुर्खियों में नहीं रहा.

अब आप कहेंगे कि हम इस विमान पर बात क्‍यों कर रहे हैं, तो आपको बता दें कि भारतीय नौसेना यानी इंडियन नेवी इन विमानों का इस्‍तेमाल करती है और भारत ऐसे 6 और विमान अमेरिका से खरीद रहा है. ये विमान मूल रूप से समुद्र में निगारानी के लिए इस्‍तेमाल किए जाते हैं और जितनी लंबी भारत की समुद्री सीमा है, उसे देखते हुए हमारी नेवी के लिए ये बेहद महत्‍वपूर्ण हो जाते हैं.

चीनी हरकतों पर पैनी नजर

बेहद एडवांस रडार सेंसरों से लैस ये पी-8आई विमान हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाएंगे, विशेष रूप से इस क्षेत्र में चीनी युद्धपोतों और पनडुब्बियों की उपस्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच. चीन के जहाज और पनडुब्बियां अक्‍सर इन क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं जिसपर उसका कहना होता है कि वो या तो सर्वे करने आए हैं या समुद्री लुटेरों से निपटते हुए इधर आ गए हैं.

इस शानदार टोही विमान से भारत का जुड़ाव नया नहीं है. भारत ने आठ विमानों का पहला बैच अमेरिका से 2009 में खरीदा था, उसके बाद 2016 में चार और विमान खरीदे गए. नौसेना ने 10 और विमानों का अनुरोध किया था, हालांकि उसे पूरा ऑर्डर नहीं मिला, लेकिन नवंबर 2019 में 6 और P-8I के लिए मंजूरी मिल गई. मई 2021 में अमेरिकी विदेश विभाग ने भी इस सौदे के लिए मंजूरी दे दी थी. ये विमान विशेष रूप से लंबी दूरी की निगरानी के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और महत्वपूर्ण गहराई पर भी पनडुब्बियों का पता लगा सकते हैं और उन्हें बेअसर कर सकते हैं.

 

भारतीय नौसेना को ये विमान क्‍यों पसंद हैं अब ये भी जान लेते हैं. वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास कई P-8I विमान हैं, जिनका संचालन देश के विभिन्न नौसेना बेस से किया जाता है.

डिज़ाइन और निर्माण

P-8I विमान का डिज़ाइन बोइंग 737-800ERX यात्री विमान के फ्रेम पर आधारित है. इसकी लंबाई लगभग 39.5 मीटर है और यह 12.8 मीटर ऊंचा है. इसके पंखों की चौड़ाई 37.6 मीटर है. यह विमान लंबे समय तक समुद्र के ऊपर गश्त करने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स, रडार और सेंसर सिस्टम लगाए गए हैं जो समुद्री सतह और पानी के नीचे के लक्ष्यों की सटीक निगरानी करने में सक्षम हैं.

पनडुब्‍बी तक को ट्रैक करने में सक्षम

  • P-8I में उन्नत सोनार सिस्टम लगा है, जो समुद्र के अंदर पनडुब्बियों की खोज और ट्रैकिंग करने में सक्षम है
  • यह विमान एक बार में 1,200 नॉटिकल माइल्स (लगभग 2,222 किलोमीटर) की दूरी तक गश्त कर सकता है
  • इसमें AN/APY-10 मल्टी-मोड रडार लगा है, जो समुद्र के छोटे से छोटे लक्ष्यों को भी ट्रैक कर सकता है
  • P-8I विमान टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइल और गाइडेड बम ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा, इसमें समुद्री सुरक्षा और निगरानी के लिए हवाई माइन भी लगाए जा सकते हैं.
  • इसमें सैटेलाइट आधारित कम्युनिकेशन सिस्टम लगा है, जो रियल टाइम में जानकारी देने और रिसीव करने में सक्षम है

भारतीय नौसेना के लिए महत्त्व

भारतीय नौसेना के लिए P-8I विमान सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. भारत के विशाल समुद्री क्षेत्र और बढ़ती भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण यह विमान समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसकी लंबी दूरी की निगरानी क्षमता और बहु-भूमिका क्षमताएं इसे समुद्री गश्त, एंटी-पायरेसी ऑपरेशन, खोज और बचाव अभियान, और आपदा प्रबंधन में भी उपयोगी बनाती हैं.

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