आज से बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू, किन मुद्दों पर होगी चर्चा? विपक्ष ने की सरकार को घेरने की तैयारी
संसद का बजट सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है. जहां विपक्ष परिसीमन, वक्फ विधेयक, त्रिभाषा नीति, अमेरिकी व्यापार शुल्क और मतदाता सूची में हेराफेरी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है. दक्षिण भारत में परिसीमन का विरोध बढ़ रहा है, जबकि टीएमसी ईपीआईसी विवाद पर भाजपा और चुनाव आयोग को घेरने की रणनीति बना रही है.;
संसद के बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत सोमवार से हो रही है. यह सत्र काफी हंगामेदार रहने की संभावना है. विपक्ष सरकार को घेरने के लिए पूरी तैयारी में है और कई अहम मुद्दे उठाने जा रहा है, जिनमें परिसीमन, त्रिभाषा नीति, अमेरिकी व्यापार शुल्क और मतदाता सूची में कथित हेरफेर जैसे विषय शामिल हैं. इन मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिल सकती है.
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी टकराव की स्थिति बन सकती है. इसे संसद में पेश करने की मंजूरी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दे दी है, और सरकार इसे जल्द पारित कराना चाहती है. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू का कहना है कि इस विधेयक से मुस्लिम समुदाय की कई समस्याओं का समाधान होगा. वहीं, जेडी(यू) और टीडीपी जैसे एनडीए सहयोगी दल इस विधेयक के समर्थन में हैं, जबकि कांग्रेस और विपक्षी दल इसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं.
टैरिफ का मुद्दा भी उठेगा
विपक्ष का जोरदार विरोध केवल वक्फ विधेयक तक सीमित नहीं रहेगा. कांग्रेस और उसके सहयोगी दल अमेरिकी व्यापार शुल्क के मुद्दे को भी उठाने वाले हैं. विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस पर संसद को भरोसे में लेने की मांग की है, खासतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे के बाद कि भारत ने अपने टैरिफ में 'बहुत कम' कटौती करने पर सहमति जताई है. कांग्रेस इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं इससे भारतीय किसानों और निर्माताओं के हितों को नुकसान तो नहीं हो रहा.
परिसीमन पर चल रहा विरोध
तमिलनाडु में परिसीमन को लेकर भारी विरोध हो रहा है और डीएमके नेता एवं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन इस मुद्दे पर सबसे मुखर रहे हैं. उनका कहना है कि जनसंख्या के आधार पर परिसीमन से दक्षिणी राज्यों की लोकसभा सीटों में कमी आ सकती है. उन्होंने केंद्र सरकार से 1971 की जनगणना आधारित परिसीमन ढांचे को 2026 से आगे 30 वर्षों के लिए स्थगित करने की मांग की है. इस मुद्दे पर उन्होंने दक्षिण और पूर्वी भारत के मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर एकजुट होने का आह्वान किया है.
त्रिभाषा को लेकर है चुनौती
डीएमके त्रिभाषा नीति के तहत कथित 'हिंदी थोपने' के खिलाफ भी आवाज उठाने की तैयारी कर रही है. यह मुद्दा कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि उसे उत्तर भारत और दक्षिण में अपनी स्थिति को संतुलित करना होगा. खासकर बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस को सोच-समझकर कदम उठाने होंगे.
मतदाता सूची में हेरफेर बनेगा मुद्दा
विपक्षी दल मतदाता सूची में कथित हेरफेर को भी एक बड़ा मुद्दा बना रहे हैं. टीएमसी ने डुप्लीकेट ईपीआईसी (इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड) नंबर के मुद्दे को उठाया है और इसके लिए भाजपा और चुनाव आयोग को घेरने की रणनीति बनाई है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कोलकाता में इस मुद्दे पर भाजपा पर सीधा आरोप लगाया था. अब इस विषय को संसद में भी जोर-शोर से उठाया जाएगा.
सरकार पूरा करेगी बजट प्रक्रिया
कुल मिलाकर, संसद के इस सत्र में सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ा टकराव देखने को मिलेगा. सरकार का मुख्य फोकस बजटीय प्रक्रिया को पूरा करने और अनुदान मांगों को पारित कराने पर रहेगा, लेकिन विपक्ष की आक्रामक रणनीति के चलते हर मुद्दे पर तीखी बहस होने की संभावना है. यह सत्र भारतीय राजनीति में कई अहम फैसलों और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.