'जब शीर्ष अधिकारी अदालत में आते हैं, तभी वो...', 'गोल्डन आवर' कैशलेस स्कीम पर केंद्र को SC ने लगाई कड़ी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में नाकाम रहने पर जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने इसे बहुत ही गंभार उल्लंघन बताया. इससे पहले, अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटना पीड़ितों को 'गोल्डन आवर' के दौरान कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए 14 मार्च तक एक योजना तैयार करे.;
Supreme Court Golden Hour Scheme : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 'गोल्डन आवर' के दौरान कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने में नाकाम रहने पर जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार को कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए दिया समय 14 मार्च को खत्म हो गया. यह बहुत ही गंभीर उल्लंघन है.
शीर्ष अदालत ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव समेत वरिष्ठ अधिकारियों को तलब करते हुए 28 अप्रैल को कोर्ट को चूक का कारण बताने को कहा है. इससे पहले, कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटना पीड़ितों को 'गोल्डन आवर' के दौरान कैशलेस चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए 14 मार्च तक एक योजना तैयार करे.
जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि हमारा यह लंबा अनुभव रहा है कि जब अदालत में शीर्ष सरकारी अधिकारी आते हैं, तभी वे अदालत के आदेशों को गंभीरता से लेते हैं. अन्यथा वे इसे नहीं लेंगे. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि अगर अब हमें पता चला कि मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है तो हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे. लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं, क्योंकि कोई इलाज नहीं है.
गोल्डन आवर क्या है?
गोल्डन आवर वह समय होता है, जब किसी गंभीर चोट के बाद पहले 60 मिनट में चिकित्सा उपचार सबसे प्रभावी होता है. इस अवधि में उचित इलाज मिलने से घायल व्यक्ति की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है.
जनवरी में अदालत ने केंद्र को दिया था निर्देश
बता दें कि इस साल जनवरी में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह सड़क दुर्घटना में जीवित बचे लोगों के लिए इमरजेंसी मेडिकल सहायता के लिए तत्काल एक योजना तैयार करें. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में, जहां इलाज में बहुत पैसा खर्च होता है, आसपास खड़े लोग, पुलिस और यहां तक कि अस्पताल भी कभी-कभी दूसरे के पहल करने का इंतजार करते रहते हैं. ऐसे में लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है.