बच्चों को कैद न करें, वह कोई प्रॉपर्टी नहीं...आखिर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ऐसा क्यों कहा?

Supreme Court on marriage: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के माता-पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी नाबालिग बेटी का अपहरण कर उसे जबरन शादी के लिए मजबूर किया गया.;

Supreme Court on marriage
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 14 Dec 2024 10:07 AM IST

Supreme Court on marriage: आए दिन बच्चों की शादी माता-पिता के लिए चैंलेंज बनता जा रहा है. बच्चों की शादी पर अपना अधिकार मानने वाले माता-पिता के लिए सुप्रीम कोर्ट का मैसेज एक सुनवाई के दौरान आया है. दरअसल, एक मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें माता-पिता ने आरोप लगाया कि जब उसकी बेटी से शादी की गई तो वो नाबालिग थी और इसके साथ ही उन्होंने अपहरण का भी आरोप लगाया.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माता-पिता की याचिका को खारिज कर दिया. माता-पिता ने अपनी याचिका में बेटी के पार्टनर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की थी. उनका आरोप था कि उसकी शादी के समय वह नाबालिग थी. मामले में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और संजय कुमार की बेंच ने कहा कि शादी के समय लड़की नाबालिग नहीं थी और उसके खिलाफ FIR इसलिए दर्ज की गई क्योंकि उसके माता-पिता ने शादी को स्वीकार नहीं किया.

कैद करने का अधिकार नहीं -चीफ जस्टिस

चीफ जस्टिस ने कहा, 'आपको कैद करने का अधिकार नहीं है... आप अपने वयस्क बच्चे के रिश्ते को स्वीकार नहीं करते हैं. आप अपने बच्चे को संपत्ति मानते हैं. बच्चे संपत्ति नहीं हैं.' इस दौरान पीठ ने महिला के माता-पिता की ओर से पेश किए गए जन्म प्रमाण पत्र की तारीख में गड़बड़ी का भी जिक्र किया और कहा कि कोर्ट इस मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है. पीठ ने कहा, 'हम हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं.'

MP हाई कोर्ट ने की थी सुनवाई

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने 16 अगस्त को नाबालिग के कथित अपहरण और यौन उत्पीड़न से जुड़े मामले में महिदपुर निवासी के खिलाफ दर्ज FIR को खारिज कर दिया. पिता ने अपहरण आदि से संबंधित विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी 16 वर्षीय लड़की लापता है.

माता-पिता ने बेटी के अपहरण का लगाया था आरोप

परिवार ने मामले में अपनी बेटी के अपहरण का आरोप लगाया था, जिसे एक व्यक्ति बहला-फुसलाकर भगा ले गया था. इस दौरान हाई कोर्ट ने इस फैक्ट को ध्यान में रखते हुए FIR को खारिज कर दिया कि लड़की एडल्ट थी और उसने अपनी सहमति से शादी की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करने सा मना कर दिया और हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

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