पहले Rape फिर Compromise से नहीं चलेगा काम! यौन उत्पीड़न मामले में सुप्रीम कोर्ट की साफ़ साफ़
Supreme Court on Sexual Harassment Cases: सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के एक मामले को खारिज कर दिया गया था.;
Supreme Court on Sexual Harassment Cases: सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर बड़ी टिप्पणी की है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यौन उत्पीड़न के मामले को इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है. जब ऐसे मामले में शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी राजस्थान हाई कोर्ट के उस फैसले को खारिज करते हुए की, जिसमें आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के मामले को खारिज कर दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस पीवी संजय कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'आपत्तिजनक आदेश को रद्द किया जाता है और अलग रखा जाता है. एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही कानून के अनुसार आगे बढ़ाई जाए.' पीठ ने ये भी स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अक्टूबर में यह फैसला सुरक्षित रखा गया था और यह फैसला इस सवाल पर आया था कि क्या हाई कोर्ट को CRPC की धारा 482 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, अपराधी और पीड़िता के बीच समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के मामले को रद्द करने का अधिकार है?
क्या है मामला?
यह मामला 15 वर्षीय लड़की के यौन उत्पीड़न से जुड़ा है, जिसके पिता ने FIR दर्ज कराई थी. हालांकि, आरोपी और पीड़िता के परिवार के बीच समझौता हो गया, जिसके आधार पर आरोपी ने राजस्थान हाई कोर्ट में मामला रद्द करने की मांग की.
हाई कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए आपराधिक मामला रद्द कर दिया.यह मामला हाई कोर्ट में तब पहुंचा जब एक तीसरे पक्ष रामजी लाल बैरवा ने हाई कोर्ट के आदेश पर आपत्ति उठाते हुए याचिका दायर की.
सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में कहा था कि आपराधिक मामले में अप्रभावित पक्ष की याचिका दायर नहीं की जा सकती, लेकिन बाद में इस मुद्दे पर विचार करने का फैसला किया गया. इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि आरोपी और पीड़िता के पिता को भी मामले में पक्ष बनाया जाए.
सितंबर 2022 में तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने केरल हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर बसंत को इस मामले में अदालत की सहायता के लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया.