यूनिवर्सिटी पर जातिगत भेदभाव गलत! सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST छात्रों के सुसाइड केस पर UGC को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने यूनिवर्सिटी और हाई एजुकेशन एकेडमी में भेदभाव की वजह से छात्रों के सुसाइड के मामले पर चिंता व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि पांच साल पहले दायर की इस याचिका पर सुनवाई की. पिछले दो दशकों में अकेले आईआईटी में 115 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें से ज्यादा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं.;
Supreme Court: देश भर में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. छात्रों में यह घटना ज्यादा देखने को मिल रही है. एक मामले पर शुक्रवार (3 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी और हाई एजुकेशन एकेडमी में भेदभाव की वजह से छात्रों के सुसाइड के मामले पर चिंता व्यक्त की.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा की छात्रों की आत्महत्या से होने वाली मौतों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने की.
छात्रों की आत्महत्या पर जताई चिंता
जानकारी के अनुसार, दो छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी. जिसके बाद उनकी दोनों छात्रों की मां आबेदा सलीम तड़वी और राधिका वेमुला ने कोर्ट में एक याचिका दायर की. जिसमें बताया कि यूजीसी विनियमन, 2012 के गैर-कार्यान्वित होने की वजह से यूनिवर्सिटी और उच्च शिक्षा संस्थानों में भेदभाव किया जाता है. गलत व्यवहार की वजह से दलित और आदिवासी छात्रों द्वारा की जाने वाली दुर्भाग्यपूर्ण आत्महत्याओं का प्रमुख कारण है.
कोर्ट ने कहा कि पांच साल पहले दायर की इस याचिका पर सुनवाई की. पिछले दो दशकों में अकेले आईआईटी में 115 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें से ज्यादा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं. जस्टिस ने कहा, "हम इस संवेदनशील मुद्दे के प्रति सचेत हैं. हमें नियमों को वास्तविकता में बदलने के लिए कोई न कोई तरीका जरूर ढूंढ़ना चाहिए."
कोर्ट ने यूजीसी को दिए निर्देश
इस मामले को लेकर कोर्ट ने यूजीसी निर्देश दिए कि वह सभी यूनिवर्सिटी से 6 सप्ताह के अंदर डेटा पेश करने को कहा है. जिन्होंने 2012 के नियमों की जरूरत के मुताबिक समानता सेल का गठन किया है और इसे शामिल करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने आगे कहा कि उसे रिकॉर्ड से पता चला है कि 20 सितंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा यूजीसी को नोटिस जारी करने के बाद से याचिका पर कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई है. पीठ ने कहा, "हम समय-समय पर इस पर सुनवाई करेंगे." जिससे भविष्य में ऐसी घटना न घटे और उसके नियंत्रण पर पाया जा सके.