अब साइबर ठगों की खैर नहीं! 3,000 करोड़ के ‘डिजिटल अरेस्ट’ पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- होगी सख्त कार्रवाई

देश में तेजी से बढ़ रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. सोमवार को अदालत ने कहा कि इस तरह के साइबर अपराधों से सख्ती से निपटा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, राज्यों और संबंधित एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी है.;

( Image Source:  ANI )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 3 Nov 2025 5:43 PM IST

देश में बढ़ते साइबर अपराधों ने अब एक नया और खतरनाक रूप ले लिया है, जिसे डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस संगठित साइबर ठगी पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि अब ऐसे अपराधियों से सख्ती से निपटा जाएगा. कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि अब तक देशभर में करीब 3,000 करोड़ रुपये इस जालसाजी के जरिए लूटे जा चुके हैं.

अदालत ने कहा कि यह अपराध न केवल लोगों की मेहनत की कमाई लूट रहे हैं, बल्कि खासतौर पर बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं. 

क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?

‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई किस्म की साइबर ठगी है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अफसर, पुलिस या जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर किसी व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने की धमकी देते हैं. वीडियो कॉल या ऑनलाइन चैट के जरिए वे पीड़ितों को “डिजिटल तौर पर गिरफ्तार” करते हैं और फिर रकम वसूलते हैं. कई बार पीड़ितों को डराकर घंटों तक कैमरे के सामने बिठा लिया जाता है ताकि वे किसी को सूचित न कर सकें.

कोर्ट बोली- अगर अब नहीं चेते, तो हालात बिगड़ जाएंगे

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने इस गंभीर मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है. अदालत ने कहा कि अगर अब इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले समय में यह समस्या और भी बड़ी हो सकती है. कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता एन.एस. नप्पिनई को मामले में एमिकस क्यूरी यानी अदालत के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है, ताकि वह इस विषय पर विशेषज्ञ राय दे सकें. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि गृह मंत्रालय के अधीन एक विशेष यूनिट पहले से ही इन साइबर ठगी के मामलों की जांच कर रही है और जल्द ही इस संबंध में डिटेल रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश की जाएगी.

सीबीआई को मिल सकता है जिम्मा

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि पूरे देश में चल रहे ‘डिजिटल अरेस्ट’ मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जा सकती है, क्योंकि यह अपराध राज्य की सीमाओं से परे, देशभर या यहां तक कि विदेशों से भी संचालित हो सकते हैं. अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस तरह के साइबर धोखाधड़ी के आंकड़े भी मांगे हैं. अब यह मामला 10 नवंबर को दोबारा सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगर अब भी इस पर लगाम नहीं लगी, तो यह साइबर अपराध देश की सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगा.

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