क्या 15 घंटे में पृथ्वी हो सकती है तबाह? सूर्य से उठने वाले आग के गोले पर आदित्य-एल1 का हाई अलर्ट

सूर्य हमारे सौर मंडल की सबसे बड़ी वस्तु है और हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक है, लेकिन अगर ये अपने खतरनाक रूप में आ जाए तो सब तबाह कर देगा. अपनी शीर्ष गति पर 150 मिलियन किमी पृथ्वी-सूर्य की दूरी को तय करने में लगभग 15 घंटे लगेंगे और इससे पलक झपकते पूरी पृथ्वी तबाह हो जाएगी.;

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Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 29 Nov 2024 11:06 AM IST

Aditya-L1: भारत में वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में देश के पहले सौर ऑब्जर्वेशन मिशन आदित्य-एल1 से पहले महत्वपूर्ण परिणाम की सूचना दी है. आदित्य-एल1 से मिले अलर्ट के आधार पर अगली बार जब सौर गतिविधियों से पृथ्वी और अंतरिक्ष के बुनियादी ढांचे को खतरा हो तो पावर ग्रिड और संचार उपग्रहों को नुकसान से बचाने में मदद मिल सकती है.

CMI का अध्ययन करना, बड़े पैमाने पर आग के गोले जो सूर्य की सबसे बाहरी कोरोना परत से निकलते हैं, भारत के पहले सौर मिशन के सबसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उद्देश्यों में से एक है. आवेशित कणों से बना, एक CMI का वजन 1 ट्रिलियन किग्रा तक हो सकता है और इसकी स्पीड प्रति सेकंड 3,000 किमी तक हो सकती है. यह पृथ्वी सहित किसी भी दिशा में जा सकता है.

15 घंटे में तबाह हो सकती है पृथ्वी

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि अब कल्पना कीजिए कि यह विशाल आग का गोला पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. अपनी शीर्ष गति पर 150 मिलियन किमी पृथ्वी-सूर्य की दूरी को तय करने में लगभग 15 घंटे लगेंगे और इससे पलक झपकते पूरी पृथ्वी तबाह हो जाएगी. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, 16 जुलाई को वेल्क ने जो कोरोनल इजेक्शन कैप्चर किया था, वह 13:08 GMT पर शुरू हुआ था. इसकी उत्पत्ति पृथ्वी के किनारे पर हुई है, लेकिन अपनी यात्रा के आधे घंटे के भीतर, यह विक्षेपित हो गया और सूर्य के पीछे जाकर एक अलग दिशा में चला गया. चूंकि यह बहुत दूर था, इसका पृथ्वी के मौसम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.

मौसम पर पड़ सकता है प्रभाव

रिपोर्ट में कहा गया कि सौर तूफान, सौर ज्वालाएं और कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन नियमित रूप से पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करते हैं. वे अंतरिक्ष के मौसम को भी प्रभावित करते हैं, जहां भारत के 50 से अधिक सहित लगभग 7,800 उपग्रह तैनात हैं. Space.com के मुताबिक , वे शायद ही कभी मानव जीवन के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकते हैं, लेकिन वे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में हस्तक्षेप करके पृथ्वी पर तबाही मचा सकते हैं.

उनका सबसे सौम्य प्रभाव उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के करीब के स्थानों में सुंदर ध्रुवीय रोशनी पैदा कर रहा है. एक मजबूत कोरोनल मास इजेक्शन के कारण अरोरा दूर के आसमान में दिखाई दे सकते हैं जैसे कि लंदन या फ्रांस में - जैसा कि मई और अक्टूबर में हुआ था. वेल्क के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर रमेश कहते हैं, 'आज हमारा जीवन पूरी तरह से संचार उपग्रहों पर निर्भर है और सीएमई इंटरनेट, फोन लाइनों और रेडियो संचार को बाधित कर सकते हैं. इससे पूरी तरह अराजकता फैल सकती है.'

सबसे शक्तिशाली सौर तूफान

सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 1859 में आया था. इसे कैरिंगटन इवेंट कहा जाता है , इसने तीव्र ऑरोरल लाइट शो शुरू कर दिया और दुनिया भर में टेलीग्राफ लाइनें बंद कर दीं. नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2012 में भी पृथ्वी पर उतना ही तेज़ तूफ़ान आया था और हमें बहुत ही ख़तरनाक का सामना करना पड़ा था. 23 जुलाई को एक शक्तिशाली कोरोनल मास इजेक्शन ने पृथ्वी की कक्षा को तोड़ दिया था, लेकिन हम भाग्यशाली थे कि हमारे ग्रह से टकराने के बजाय तूफान का बादल अंतरिक्ष में नासा के सौर वेधशाला स्टीरियो-ए से टकराया.

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