दो भाइयों की एक ही दुल्हनियां, हिमाचल प्रदेश में चर्चा में बनी अनोखी शादी, वजह जान आप हिल जाएंगे- Video

Sirmaur Viral News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में दो भाइयों की शादी एक ही लड़की से कराई गई और वीडियो वायरल हो गया. शादी के आखिरी दिन दो दूल्हे सजधज कर अपनी दुल्हन के साथ स्टेज पर नजर आए. तीनों की काफी खुश नजर आ रहे थे, जिसमें देखकर यूजर्स हैरान हो गए कि ये क्या नया देखने को मिल रहा है.;

Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 18 July 2025 12:42 PM IST

Sirmaur Viral News: सोशल मीडिया पर शादियों के बहुत से वीडियो वायरल होते रहते हैं, जिसमें दूल्हा-दुल्हन का डांस भी देखने को मिलता है. इन दिनों हिमाचल प्रदेश के सिरमौर की एक शादी चर्चा में बनी हुई है. यहां पर दो भाइयों की शादी एक ही लड़की से कराई जा रही है. हैरानी की बात ये है कि सभी खुश नजर आ रहे हैं. अब इसकी चर्चा सोशल मीडिया पर होने लगी है.

दो भाइयों की शादी की चर्चा पूरे गांव में हो रही है. बताया जा रहा है कि यह विवाह एक पुरानी परंपरा के मुताबिक किया जा रहा है. इसके तहत दो एक लड़की की शादी घर के दो लड़कों की कराई जाती है. यह मामला सिरमौर के शिलाई का बताया जा रहा है.

दो भाइयों की एक दुल्हन

शिलाई गांव के थिंडो खानदान के दो बेटों का 12 से 14 जुलाई तक अनोखा शादी समारोह चला. उनकी शादी कुन्हट गांव की बेटी से हुई. शादी के आखिरी दिन दो दूल्हे सजधज कर अपनी दुल्हन के साथ स्टेज पर नजर आए. तीनों की काफी खुश नजर आ रहे थे, जिसमें देखकर यूजर्स हैरान हो गए कि ये क्या नया देखने को मिल रहा है. एक भाई जल शक्ति विभाग में काम करता है वहीं दूसरा विदेश में नौकरी करता है.

क्या है परंपरा?

जानकारी के अनुसार, सिरमौर और उत्तराखंड के जौनसार बावर में शादियां पुरानी परंपरा के मुताबिक कराई जाती है. इनमें से एक परंपरा दो या उससे ज्यादा भाइयों की शादी एक ही लड़की से कराने की भी परंपरा है. वर्तमान में इसका पालन कम ही लोग करते हैं लेकिन कुछ गांव आज भी ऐसे ही जो पुराने रीति-रिवाजों से जुड़े हुए हैं.

ऐसा मामला जाता है कि इस तरह की शादी के पीछे का उद्देश्य संपत्ति से जुड़ा होता है. जमीन बंटवारा न हो इसलिए ये शादियां की जाती हैं. शादी के बाद सभी साथ रहकर परिवार चलाते हैं. इस परंपरा को पांडवों और द्रौपदी की शादी से भी जोड़ा जाता है. बता दें कि इसे भ्रातृ बहुपत्नी विवाह (fraternal polyandry) कहा जाता है. यह प्रथा आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है और इसके सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक आधार हैं. तुंबिक आदिवासी समूहों में भी यह व्यवहार देखने को मिला है.

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