कोच्चि में स्‍कूलों की अनोखी पहल, रिपोर्ट कार्ड में मार्क्स की जगह दे रहे Emojis और Star

कोची के कई CBSE स्कूलों ने बच्चों को मार्क्स देने के तरीके में बदलाव किया है. इन नए बदलाव के बाद स्कूल टेस्ट या फिर एग्जाम में किंडरगार्डन से लेकर 2 क्लास तक के बच्चों को मार्क्स में ग्रेड के बजाए इमोजी या फिर स्टार्स का इस्तेमाल किया जा रहा हैं.;

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Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 18 Nov 2024 11:47 AM IST

हम लोग आए दिन एक दूसरे से बातचीत करने के लिए इमोजी का इस्तेमाल करते हैं. इमोजी के सहारे आप यह बता सकते हैं कि आखिर आप कैसा महसूस कर रहे हैं. लेकिन जल्द अब इसका इस्तेमाल बच्चों को मार्क्स देने के लिए किया जाने वाला है. दरअसल कोच्चि में कई CBSE स्कूलों ने बच्चों को मार्क्स देने के तरीके में बदलाव करने का फैसला किया है. इन नए बदलाव के बाद स्कूल टेस्ट या फिर एग्जाम में किंडरगार्डन से लेकर 2 क्लास तक के बच्चों को मार्क्स में ग्रेड के बजाए इमोजी या फिर स्टार्स का इस्तेमाल करने वाले हैं. इस नई पॉलिसी को साल 2020 NEP न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत लिया गया है.

इस नई पॉलिसी के तहत बच्चों को रिटेन एग्जाम में उनकी एक्टीविटीज के तहत मार्क्स दिए जाएंगे. इससे बच्चों के मानकिस विकास में भी काफी सुधार आएगा.

क्या है मकसद?

इस नए सिस्टम को लागू करने के पीछे बच्चों की स्किल्स को निखारना जैसे, कम्यूनिकेशन, एक्टिव लर्निंग, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जोर देना है. वहीं क्वेश्चन पेपर पर पूरी तरह से निर्भर रहने के बजाए प्रोजेक्ट वर्क के माध्यम से छात्रों को मार्क्स के जरिए मार्क्स दिए जाएंगे. इसकी मदद बच्चों के मानकिस विकास पर स्कूलों में अधिक जोर दिया जाएगा है. स्कूल क्विज, ग्रुप एक्टीविटीज जो उनकी संज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक क्षमताओं के साथ-साथ फिजिकल एक्टिवीटीज को भी टेस्ट करते हैं. टीचर्स द्वारा मार्क्स के अलावा छात्रों को खुद को मार्क्स देने के लिए मोटिवेट किया जाता है. इसके बाद पेरेंट्स और दोस्तों से उस बारे में फीडबैक लिया जाता है.

कैसे करेंगे काम ?

इन प्रक्रिया को अच्छे से चलाने के लिए कई मीटिंग्स आयोजित की गईं है. वहीं उदहारण के तौर पर स्कूल टीचर्स ने कहा कि मैथ टीचर और इंग्लिश टीचर ने मिलकर बच्चों के लिए टास्क तैयार किए हैं. टीचर्स ने बताया कि इसके लिए बर्थ डे पार्टीज में छात्र मैथ पज्ल सॉल्व करते-करते इंग्लिश का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे बच्चों की मानकिस विकास को और भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है.

इसमें केवल एक कमी है

वहीं सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ केरेला स्कूल ऑफ एजुकेशन के प्रोफेसर अम्रुथ जी कुमार ने कहा कि छात्र नंबर्स के बजाए इमोजी से बेहतर तरीके से कनेक्टकर सकते हैं. लेकिन इसमें एक कमी बताते हुए उ्होंने कहा कि यह तभी स्क्सेसफुल हो पाएगा. जब शिक्षक इस प्रक्रिया में लगातार नए उपयोग करते रहें. उन्होंने कहा कि हम मार्क्स देने के लिए नए मॉडल को भी लागू करने वाले हैं. आने वाले कुछ ही महीनों में छोटी क्लास के लिए होलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड पेश किया जाएगा.

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