आवारा कुत्तों पर SC का फैसला सुरक्षित, कोर्ट ने कहा- हम मारने की बात नहीं कह रहे; 10 पॉइंटर्स में पढ़ें क्या दी गई दलीलें

सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर के आवारा कुत्तों को स्थायी शेल्टर होम में रखने के आदेश पर गरमा-गरम बहस हुई. SG तुषार मेहता ने बच्चों की जान को खतरा बताते हुए तुरंत कार्रवाई की मांग की, जबकि कपिल सिब्बल ने आदेश पर रोक और नसबंदी-टीकाकरण पर जोर दिया. कोर्ट ने 11 अगस्त के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने पर फैसला सुरक्षित रखा.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 14 Aug 2025 11:44 AM IST

दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों और रेबीज़ के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में बहस तेज हो गई है. कोर्ट ने साफ कहा है कि कुत्तों को मारने की बात नहीं हो रही, लेकिन इन्हें रिहायशी इलाकों से हटाना ज़रूरी है. नई गठित बेंच जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया ने इस गंभीर मुद्दे पर सुनवाई शुरू की, जिसमें बच्चों पर हमलों के वीडियो, चौंकाने वाले आंकड़े और सरकारी निष्क्रियता सबके सामने आए. फ़िलहाल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

मामले की शुरुआत 11 अगस्त के उस आदेश से हुई, जिसमें दिल्ली-NCR के सभी आवारा कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखने और सड़कों पर न छोड़ने का निर्देश दिया गया था. यह आदेश रेबीज़ और कुत्तों के काटने की घटनाओं को देखते हुए आया था, लेकिन यह मौजूदा ABC (एनिमल बर्थ कंट्रोल) नियमों के विपरीत है, जो नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें वापस छोड़ने की बात कहते हैं. अब कोर्ट को तय करना है कि इस आदेश पर अंतरिम रोक लगे या इसे जारी रखा जाए.

कोर्ट रूम की 10 बड़ी बातें

  • नई बेंच की सुनवाई: जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई की, कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
  • सॉलिसिटर जनरल की दलीलें: तुषार मेहता ने कहा कि प्रतिदिन लगभग 10,000 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं और सालाना 37 लाख मामले सामने आते हैं. रेबीज़ से 305 मौतें दर्ज हैं, लेकिन WHO के मुताबिक असली आंकड़े इससे कहीं ज्यादा हैं.
  • कोर्ट की टिप्पणी: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंकड़े डरावने हैं, लोग मर रहे हैं और केवल "एनिमल लवर" होने से काम नहीं चलेगा, वास्तविक स्थिति देखनी होगी.
  • बधियाकरण पर सवाल: कोर्ट ने माना कि बधियाकरण एक विकल्प है, लेकिन यह रेबीज़ या बच्चों के अंग-भंग की घटनाओं को पूरी तरह नहीं रोकता.
  • कपिल सिब्बल का तर्क: उन्होंने कहा कि कुत्तों को पकड़ने के बाद रखने के लिए पर्याप्त शेल्टर, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रबंधन नहीं है. बिना व्यवस्था के यह आदेश लागू करना असंभव है.
  • शेल्टर होम की समस्या: दिल्ली-NCR में पर्याप्त शेल्टर होम मौजूद नहीं हैं, इसलिए पकड़े गए कुत्तों को एक साथ ठूंसना पड़ेगा, जिससे वे और हिंसक हो सकते हैं.
  • ABC कानून का उल्लंघन: कोर्ट ने माना कि संसद ने एनिमल बर्थ कंट्रोल कानून बनाया, लेकिन उसे ठीक से लागू नहीं किया गया, और यही स्थिति बिगड़ने की बड़ी वजह है.
  • सार्वजनिक विरोध: दिल्ली में लोग आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में भेजने के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं, इसे अमानवीय बताया गया है.
  • मौजूदा आदेश पर सवाल: 11 अगस्त के आदेश में कुत्तों को स्थायी रूप से शेल्टर में रखने की बात कही गई, जो पूर्ववर्ती फैसलों और नियमों से उलट है.
  • अगला कदम: कोर्ट जल्द तय करेगा कि इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाई जाए या इसे जारी रखा जाए, जबकि सभी पक्ष अपनी-अपनी दलीलों के साथ तैयार हैं.

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