2022 में ही रतन टाटा ने बना दया था ये सख्त नियम! सौतेले भाई नोएल के लिए टाटा संस का चेयरमैन बनना है मुश्किल
Noel Tata-Ratan Tata: यह पहली बार नहीं है जब नोएल टाटा को टाटा संस का चेयरमैन बनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, जब वह इस पद को हासिल करने में असफल रहे थे.;
Noel Tata-Ratan Tata: दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन नियुक्त किया गया. इसके बाद चर्चा होने लगी कि टाटा समूह अब उनके नियंत्रण में रहेगा. हालांकि, नोएल टाटा कभी भी टाटा संस के चेयरमैन नहीं बन सकते हैं. टाटा संस ग्रुप की प्रमुख कंपनी है और जो एक दर्जन से अधिक अन्य टाटा कंपनियों को नियंत्रित करती है.
नोएल टाटा के लिए ये पहली बार नहीं है कि जब उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बनने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. करीब 13 साल पहले भी ऐसी ही स्थिति बनी थी जब वह शीर्ष पद हासिल करने में असफल रहे थे.
नोएल टाटा क्यों नहीं बन सकते हैं चेयरमैन?
2022 में रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने इसके टकराव को रोकने के लिए एक नियम बनाया. टाटा संस ने अपने आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन में संशोधन करके किसी भी एक व्यक्ति को एक साथ टाटा ट्रस्ट और टाटा संस दोनों का चेयरमैन बनने से रोक दिया.
नोएल टाटा वर्तमान में टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन हैं, इसलिए उन्हें टाटा संस का चेयरमैन नियुक्त नहीं किया जा सकता है. बता दें कि रतन टाटा टाटा परिवार के आखिरी सदस्य थे, जिन्होंने एक ही समय में दोनों पद संभाले थे.
कब-कब चेयरमैन बनने से चूके नोएल टाटा-
- टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 2011 में जब रतन टाटा के इस्तीफे के बाद नोएल टाटा को टाटा संस का अध्यक्ष बनाने की चर्चा चल रही थी, तो यह पद नोएल टाटा के बहनोई साइरस मिस्त्री को दे दिया गया.
- 2019 में जब नोएल टाटा को सर रतन टाटा ट्रस्ट का ट्रस्टी बनाया गया था, तब उन्हें टाटा संस का चेयरमैन बनाने की चर्चा थी.
- इसी तरह 2022 में जब वे सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के ट्रस्टी बने, तब भी उन्हें टाटा संस का चेयरमैन नहीं बनाया गया.
रतन टाटा ने क्यों बनाए ये नियम?
टाटा संस सभी टाटा ग्रुप कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है और उनमें महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखती है. टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस में 66% हिस्सेदारी है, जिसका मतलब है कि टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन ग्रुप कंपनियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करते हैं. हालांकि, ग्रुप की कंपनियों को सीधे प्रभावित करने की शक्ति टाटा संस के चेयरमैन के पास है. इसलिए रतन टाटा ने एक व्यक्ति को एक साथ दोनों पदों पर रहने से प्रतिबंधित करने वाला नियम बनाया.