यूं ही नहीं माना चीन! मिलने को क्यों राजी हुए मोदी और जिनपिंग, LAC को लेकर कैसे बनी बात... INSIDE स्टोरी

India China border agreement: भारत और चीन के बीच LAC पर सब ठीक करने में दोनों देशों को काफी लंबा वक्त लगा. ये मामला कई बैठकों की बातचीत के बाद सुलझा है. प्रधानमंत्री मोदी की शी जिनपिंग से बातचीत में भी इसे सुलझाने की उत्सुकता दिखी.;

India China border agreement
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 24 Oct 2024 2:08 PM IST

India China border agreement: आखिरकार भारत और चीन के बीच LAC पर समझौता हो गया, लेकिन क्या ये सब महज एक दिन या फिर एक महीने में हुआ? नहीं! ये रास्ता एक लंबी कूटनीतिक बातचीत के जरिए निकली है, जो सीमा पर भारत के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को कज़ान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की, जो पिछले पांच सालों में दोनों नेताओं के बीच पहली द्विपक्षीय बैठक थी. ये एक उम्मीद है, दोनों पड़ोसियों के बदलते रिश्ते की भविष्य की.  

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन भी हाल ही में एलएसी मुद्दे को हल करने के लिए उत्सुक था. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि दो पड़ोसी और दुनिया के दो सबसे बड़े राष्ट्रों के रूप में भारत और चीन के बीच स्थिरता और सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो कि विश्व में भी योगदान देगा.


पीएम मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकात

प्रधानमंत्री मोदी की शी जिनपिंग के साथ बातचीत में भी इसके लिए उत्साह दिखा. दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति भी जाहिर की है कि भारत-चीन सीमा पर शांति और सौहार्द के लिए जल्द ही और भी बैठकें करेंगे. पीएम मोदी की शी जिनपिंग की ये मुलाकात अचानक से नहीं हुई, ये पिछले कई महीनों से चल रही अधिकारियों की बातचीत पर बनी सहमति का असर है. रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले तीन महीनों में पीएम मोदी की रूस की दो यात्राओं ने अमेरिकी दबाव के बावजूद चीन को समझौते के लिए तैयार कर दिया. पिछले छह महीनों से हो रही बातचीत अपनी सफलता की ओर पहुंची.  

कई दौर की बैठकों से निकली राह

भारत की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्रियों और अन्य अधिकारियों के स्तर पर बातचीत का उपयोग द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और फिर से ठीक करने के लिए भी किया जाएगा. चार सालों में 31 दौर की कूटनीतिक बैठकें और 21 दौर की सैन्य वार्ता हुई है. जुलाई में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच दो महत्वपूर्ण बैठकों ने भारत-चीन के लिए एलएसी पर सैनिकों की वापसी पर एक समझौते पर पहुंचने के रास्ते को खोला.


जल्द ही एक साथ होगी LAC पर पेट्रोलिंग  

समझौते के बाद एलएसी पर सैनिकों की वापसी और तनाव में कमी भी जल्द ही होगी. दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझाने के लिए तेजी से आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हैं. एलएसी के दोनों ओर भारत और चीन की ओर से गश्त भी जल्द ही शुरू हो जाएगी.

2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से एलएसी पर संघर्ष के सात बिंदु थे, जिनमें से पांच पर सैनिकों की वापसी हो गई थी, लेकिन देपसांग मैदानों और डेमचोक में दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच आमने-सामने संघर्ष की स्थिति बनी हुई है. दोनों पक्ष अब शेष दो बिंदुओं पर भी अलग हो गए हैं. गलवान घाटी में हुई झड़प के कारण दोनों पक्षों के बीच संबंध खराब हो गए थे और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव बढ़ गया था. 

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