'स्वदेशी' पर फोकस, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार...PM मोदी ने बताया GST Reforms से आम लोगों को क्या-क्या फायदा होगा
पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कल से नवरात्रि के शुभ अवसर पर भारत में नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म लागू होंगे और GST बचत उत्सव शुरू होगा. यह पहल आम नागरिकों को अधिक बचत और आसान खरीददारी का अवसर देगी. सुधारों से व्यापार में सुगमता बढ़ेगी, निवेश आकर्षित होगा और प्रत्येक राज्य विकास में समान भागीदार बनेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों को नवरात्रि की शुभकामनाएं देते हुए इस कदम को भारत की विकास यात्रा के लिए महत्वपूर्ण बताया.;
PM Modi on GST Reforms: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 सितंबर को 5 बजे देशवासियों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि कल से देश में शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि आरंभ हो रहा है. इस शुभ अवसर पर देश एक और बड़े और महत्वपूर्ण कदम के लिए तैयार है. नवरात्रि के पहले दिन, 22 सितंबर से सूर्योदय के साथ नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म लागू हो जाएंगे. इस नई GST सुधार योजना के तहत GST बचत उत्सव भी शुरू होगा, जो आम नागरिकों को अधिक बचत का अवसर देगा और उनकी खरीददारी को आसान बनाएगा. यह पहल समाज के हर वर्ग के लिए फायदे लेकर आएगी और वित्तीय लाभ का एक व्यापक अवसर प्रदान करेगी.
पीएम मोदी ने कहा कि त्योहारों के इस मौसम में सबका मुंह मीठा होगा. देश के हर परिवार की खुशियां बढ़ेगी. उन्होंने मेड इन इंडिया और स्वदेशी प्रोडक्ट को खरीदने पर भी जोर दिया.
PM Modi के भाषण की 10 बड़ी बातें
- प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि 2017 में भारत ने GST सुधार की शुरुआत करके पुराने टैक्स जाल को तोड़ने और नया इतिहास बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया. पहले विभिन्न प्रकार के टैक्स, जैसे ऑक्ट्रॉय, एंट्री टैक्स, सेल्स टैक्स, एक्साइज, VAT, सर्विस टैक्स, देश में व्यापारियों और आम जनता के लिए जाल जैसा बन चुके थे. इन सुधारों से वस्तुओं के परिवहन में आसानी, व्यापार में सुगमता और निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
'हम वो सामान खरीदें जो मेड इन इंडिया हो, जिसमें हमारे देश के नौजवानों की मेहनत लगी हो और हमारे देश के बेटे बेटियों का पसीना हो. हमें हर घर को स्वदेशी का प्रतीक बनाना है... हर दुकान को स्वदेशी से सजाना है.
जो देश के लोगों की जरूरत का है... जो हम देश में ही बना सकते हैं... वो हमें देश में ही बनाना चाहिए. देश की स्वतंत्रता को जैसे स्वदेशी के मंत्र से ताकत मिली... वैसे ही देश की समृद्धि को भी स्वदेशी के मंत्र से ही शक्ति मिलेगी.
- प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि त्योहारों के इस मौसम में हर परिवार की खुशियां बढ़ेंगी. नेक्स्ट जेनरेशन GST रिफॉर्म और बचत उत्सव से भारत की विकास यात्रा तेज होगी, व्यापार और निवेश में सुविधा बढ़ेगी और प्रत्येक राज्य को विकास की दौड़ में समान भागीदार बनाया जाएगा.
- सुधार एक सतत प्रक्रिया है. जैसे-जैसे समय बदलता है और देश की ज़रूरतें बदलती हैं, अगली पीढ़ी के सुधार भी उतने ही ज़रूरी हैं. ये नए जीएसटी सुधार देश की वर्तमान ज़रूरतों और भविष्य के सपनों को ध्यान में रखते हुए लागू किए जा रहे हैं...
जीएसटी दरों में कमी और नीतियों व प्रक्रियाओं के सरलीकरण से हमारे एमएसएमई को काफ़ी फ़ायदा होगा. इन बदलावों से न सिर्फ़ उनकी बिक्री बढ़ेगी, बल्कि उनका कर बोझ भी कम होगा, जिससे दोहरा लाभ होगा. परिणामस्वरूप, मुझे हमारे एमएसएमई के प्रदर्शन और विकास से काफ़ी उम्मीदें हैं.
नए फॉर्म में अब सिर्फ़ 5% और 18% के टैक्स स्लैब होंगे. इसका मतलब है कि ज़्यादातर रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती हो जाएंगी. खाने-पीने की चीज़ें, दवाइयां, साबुन, ब्रश, पेस्ट, स्वास्थ्य और जीवन बीमा, ऐसी कई चीज़ें और सेवाएं या तो टैक्स-मुक्त होंगी या फिर सिर्फ़ 5% टैक्स देना होगा. जिन चीज़ों पर पहले 12% टैक्स लगता था, उनमें से 99% चीज़ें अब 5% टैक्स के स्लैब में आ गई हैं..."
जब आपने हमें 2014 में अवसर दिया, तो हमने जनहित और राष्ट्रहित में GST को अपनी प्राथमिकता बनाया. हमने हर हितधारक से चर्चा की. हर राज्य की शंकाओं का समाधान किया और हर प्रश्न का समाधान निकाला. सभी राज्यों को साथ लेकर चलने से ही भारत का सबसे बड़ा कर सुधार संभव हो पाया.
केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों का ही परिणाम था कि देश दर्जनों करों के जाल से मुक्त हुआ और पूरे देश के लिए एक समान व्यवस्था स्थापित हुई. 'एक राष्ट्र, एक कर' का सपना साकार हुआ...
मुझे याद है कि जब 2014 में देश ने मुझे प्रधानमंत्री का जिम्मा सौंपा, तब एक विदेशी अखबार में एक रोचक खबर छपी थी. उस समय एक कंपनी ने यह तक कह दिया था कि अगर उन्हें अपने माल को बेंगलुरु से हैदराबाद (570 किमी) भेजना है, तो यह इतना मुश्किल था कि वे सोच रहे थे कि पहले माल को यूरोप भेज दें और फिर यूरोप से हैदराबाद भेजें. उस समय यह स्थिति विभिन्न टैक्स और टोल्स की जटिलताओं के कारण थी. लाखों कंपनियां और करोड़ों देशवासी रोज़मर्रा की समस्याओं का सामना कर रहे थे. माल भेजने में बढ़े हुए खर्च गरीबों पर पड़ते थे और आम ग्राहकों से वसूला जाता था. इस स्थिति से देश को मुक्त करना आवश्यक था.