भारत के इस कदम से बौखलाया चीन, PM Modi ने दलाई लामा पर खेला दांव तो ड्रैगन ने कही ये बात
भारतीय पर्वतारोहण दल ने कुछ समय में तवांग क्षेत्र में एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा रखा है. चीन भारत के इस फैसले से नाराज है. उसने इसे 'चीनी क्षेत्र' में एक अवैध ऑपरेशन बताया है. वो उस क्षेत्र को अपना हिस्सा बता रहा है जो पूरी तरह से झूठ है. छठे दलाई लामा, त्सांगयांग ग्यात्सो के सम्मान में इसका नाम 'त्सांगयांग ग्यात्सो चोटी' रखा.;
Arunachal Pradesh News: भारत का पड़ोसी देश चीन हमेशा भारत के फैसले और इसकी तरक्की से चिढ़ता नजर आता है. चीन हमेशा भारत की बुराई करता है. हाल ही में भारत ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एक पर्वत चोटी का नाम दलाई लामा रखा. इससे ड्रैगन को मिर्ची लग गई है.
भारतीय पर्वतारोहण दल ने कुछ समय में तवांग क्षेत्र में एक अनाम चोटी का नाम छठे दलाई लामा रखा है. चीन भारत के इस फैसले से नाराज है. उसने इसे 'चीनी क्षेत्र' में एक अवैध ऑपरेशन बताया है. वो उस क्षेत्र को अपना हिस्सा बता रहा है जो पूरी तरह से झूठ है.
चोटी का नाम दलाई लामा
जानकारी के अनुसार दिरांग में राष्ट्रीय पर्वतारोहण और साहसिक खेल संस्थान (NIAMS) के 15 पर्वतारोहियों का एक ग्रुप शनिवार को इस चोटी पर चढ़ाई की. टीम ने तवांग में पैदा हुए छठे दलाई लामा, त्सांगयांग ग्यात्सो के सम्मान में इसका नाम 'त्सांगयांग ग्यात्सो चोटी' रखा.
चीन का बयान
इस मामले में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, जांगनान का क्षेत्र चीन का हिस्सा है और भारत के लिए चीनी क्षेत्र में तथाकथित अरुणाचल प्रदेश स्थापित करना अवैध और अमान्य है. आपको बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश को जांगनान कहता है. भारत ने हमेशा से चीन के इस दावे का खंडन किया है और अरुणाचल प्रदेश को देश का हिस्सा बताया है.
भारत का रुख
चोटी का नाम दलाई लामा के नाम पर रखने पर चीन बौखलाया हुआ है. रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में कहा कि छठे दलाई लामा के नाम का चयन किया है. ऐसा उनकी कालातीत बुद्धिमत्ता और मोनपा समुदाय और उनके योगदान के लिए एक श्रद्धांजलि है, ऐसा लगता है कि यह बात लोगों को परेशान कर रही है.
टीम ने 15 दिन में की चढ़ाई
NIAMS की टीम ने 15 दिनों के अंदर ही अरुणाचल प्रदेश चोटी की चढ़ाई कर ली. एनआईएएमएस के निदेशक कर्नल रणवीर सिंह जामवाल के नेतृत्व में इस सफर की शुरुआत की गई. चोटी की ऊंचाई 6,383 मीटर है. यह चोटी तकनीकी रूप से क्षेत्र की सबसे चुनौतीपूर्ण और अज्ञात चोटियों में से एक थी. टीम के सामने बर्फ की दीवारें और दो किलोमीटर लंबे ग्लेशियर सहित भारी चुनौतियां थी, इन सभी को पार करके टीम ने सफलता हासिल की.