सुस्ती नहीं, फाइलें निपटाओ! मंत्रियों के दफ्तरों को पहली बार भेजा गया सख्त संदेश, दो महीने से लंबित फाइलों पर तुरंत हो कार्रवाई

केंद्र सरकार का ताजा कदम यह दिखाता है कि अब सिर्फ अफसरशाही ही नहीं बल्कि मंत्रीगण भी काम में देरी होने के लिए जवाबदेह माने जाएंगे. सरकारी स्तर पर फैसले की प्रक्रिया में देरी अब सहन नहीं की जाएगी. पारदर्शिता और समयबद्ध तरीके से कामकाज की दिशा में यह पहल शासन को न केवल प्रभावी बनाएगी बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगी.;

Edited By :  धीरेंद्र कुमार मिश्रा
Updated On : 3 July 2025 9:08 AM IST

केंद्र सरकार ने सरकारी कामकाज को लेकर निर्णय लेने में हो रही देरी को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. पहली बार कैबिनेट सचिवालय ने सीधे केंद्रीय मंत्रियों के दफ्तरों को पत्र भेजकर दो महीने से अधिक समय से लंबित फाइलों को तत्काल निपटाने का सख्त निर्देश दिया है. यह पहल सरकारी कामकाज में तेजी लाने और जवाबदेही तय करने के इरादे से की गई है.

सूत्रों के अनुसार, जून के दूसरे पखवाड़े में यह पत्र भेजे गए, जिनमें प्रत्येक मंत्री के दफ्तर में लंबित फाइलों की संख्या भी स्पष्ट रूप से दर्शाई गई है. अब तक फाइलों की स्थिति की समीक्षा केवल संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और सचिव स्तर तक ही सीमित रहती थी, लेकिन अब मंत्रियों के कार्यालयों को सीधे जवाबदेह बनाया गया है.

कहां-कहां फंसी हैं फाइलें?

कैबिनेट सचिवालय ने ई-ऑफिस डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से हर स्तर पर फाइलों की निगरानी शुरू कर दी है. हर दिन लगभग 7,000 से 8,000 ई-फाइलें इस प्रणाली में चलती हैं, जिनमें से करीब 2,000 फाइलें केंद्रीय मंत्रियों के दफ्तरों तक पहुंचती हैं. इनमें अधिकतर फाइलें अंतर्विभागीय मामलों से जुड़ी होती हैं, जैसे कि नीतियां, योजनाएं और राज्यों को फंड जारी करने जैसे विषय.

6 महीने से भी अधिक समय से लंबित हैं फाइलें

बता दें कि कुछ मंत्रालयों में 61 से 90 दिन, 91 से 120 दिन और यहां तक कि 180 दिन से अधिक समय से फाइलें पेंडिंग पाई गईं. एक मंत्री के दफ्तर में दर्जनों फाइलें अटकी पाई गईं. जबकि एक अन्य मंत्री के कार्यालय में एक राज्य को फंड जारी करने से जुड़ी फाइल छह महीने से भी अधिक समय से लंबित थी.

सुशासन के लिए बड़ी पहल

यह कदम मोदी सरकार द्वारा अफसरशाही में देरी और लालफीताशाही को खत्म करने की दिशा में उठाए गए कई उपायों की अगली कड़ी है. इससे पहले सरकार ने PRAGATI (Pro-Active Governance and Timely Implementation) प्लेटफॉर्म लॉन्च किया था, जो प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्र सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को जोड़ता है.

प्रधानमंत्री खुद हर महीने PRAGATI की बैठक की अध्यक्षता करते हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सीधी निगरानी रखते हैं. इस प्लेटफॉर्म की मदद से मार्च 2015 से अब तक 340 से अधिक ‘क्रिटिकल प्रोजेक्ट्स’ में तेजी लाई जा चुकी है.

PM GatiShakti और e-SamikSha भी कर रहे निगरानी

इन्फ्रास्ट्रक्चर योजनाओं की प्लानिंग और फैसले की गति बढ़ाने के लिए सरकार ने अक्टूबर 2021 में PM GatiShakti प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. इसके अलावा, e-SamikSha नामक एक रीयल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम का इस्तेमाल भी हो रहा है, जो केंद्रीय मंत्रालयों के फैसलों और घोषणाओं की ट्रैकिंग करता है.

सरकार का यह ताजा कदम दिखाता है कि अब सिर्फ अफसरशाही ही नहीं, बल्कि मंत्रीगण भी सीधे जवाबदेह होंगे. फैसले की प्रक्रिया में देरी अब सहन नहीं की जाएगी. पारदर्शिता और समयबद्ध कामकाज की दिशा में यह पहल शासन को न केवल प्रभावी बनाएगी, बल्कि जनता के विश्वास को भी मजबूत करेगी.

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