फ्लाइट में खिड़की से झांकना मना! विमान में विंडो शेड्स रहेंगे डाउन, DGCA ने कहां के लिए जारी किया नया नियम?

DGCA ने रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर आदेश जारी किया है कि रक्षा हवाईअड्डों से उड़ान भरने या वहां उतरने वाले विमानों की खिड़कियां 10,000 फीट की ऊंचाई तक बंद रहेंगी. यह सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. नियमों का उल्लंघन करने पर यात्रियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी, हालांकि पायलटों ने इससे जुड़ी सुरक्षा चिंताएं भी उठाई हैं.;

Edited By :  नवनीत कुमार
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नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 20 मई को एक नई गाइडलाइन जारी की है. इसमें सभी एयरलाइंस, हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड फ्लाइट ऑपरेटर्स को निर्देश दिया गया है कि वे उन विमानों में जिनकी उड़ानें रक्षा हवाईअड्डों से होती हैं, टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान यात्रियों की सीटों की खिड़कियां (जहां लागू हो) बंद रखें. यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक विमान 10,000 फीट की ऊंचाई को पार नहीं कर लेता या लैंडिंग के दौरान उस ऊंचाई से नीचे नहीं उतर आता.

DGCA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि यह आदेश रक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर जारी किया गया है. गाइडलाइन में साफ किया गया है कि खिड़कियां तभी खोली जा सकती हैं जब विमान 10,000 फीट से ऊपर चला जाए या लैंडिंग के बाद पार्किंग बे तक पहुंच जाए. इसके साथ ही यात्रियों को स्पष्ट रूप से यह भी याद दिलाया जाएगा कि सैन्य ठिकानों पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी प्रतिबंधित है.

सुरक्षा उपायों को लेकर एयरलाइनों को दिए निर्देश

भारत के कई रक्षा हवाईअड्डे दोहरी भूमिका निभाते हैं और इनका आंशिक उपयोग वाणिज्यिक उड़ानों के लिए भी होता है, जिन्हें 'सिविल एन्क्लेव' कहा जाता है. ऐसे एयरपोर्ट्स पर DGCA ने एयरलाइनों को अपने क्रू के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल तैयार करने को कहा है, जिसमें सुरक्षा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए टेक-ऑफ और लैंडिंग से पहले यात्रियों को सूचित करने की प्रक्रिया शामिल होनी चाहिए। खास तौर पर पश्चिमी भारत की सीमा के नजदीक स्थित हवाईअड्डों पर इस नियम का पालन सख्ती से करवाने को कहा गया है।

नियम तोड़ने पर कानूनी कार्रवाई

DGCA के अनुसार, यदि कोई यात्री इन निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. नियम का मकसद रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और वहां की गतिविधियों को रिकॉर्ड होने से रोकना है. विशेष रूप से सैन्य क्षेत्र में सुरक्षा कारणों से यह निर्णय लिया गया है जिससे कोई संवेदनशील दृश्य बाहरी दुनिया में लीक न हो सके.

पायलटों की चिंताएं और DGCA की सफाई

हालांकि, कई पायलटों ने नाम न छापने की शर्त पर इस आदेश पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान खिड़कियों का खुला होना एक जरूरी सुरक्षा प्रक्रिया है, जिससे बाहरी परिस्थितियों पर नजर रखी जा सकती है. जैसे इंजन में आग लगना या बर्ड स्ट्राइक जैसी घटनाएं. DGCA ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि इमरजेंसी एक्जिट विंडो खुली रहेंगी ताकि सुरक्षा का ध्यान रखा जा सके और एक हफ्ते में इस आदेश की समीक्षा भी की जाएगी.

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