ZSU-23 शिल्का और L-70 ने उड़ा दिए पाक ड्रोन के परखच्चे, जानिए क्यों कहा जाता है दुश्मनों के लिए कब्रिस्तान
जैसे ही कल रात पाकिस्तान ने अपने ड्रोन भेजे, तो इसका जवाब देने के लिए मैदान में उतरे दो घातक योद्धा ZSU-23 शिल्का और L-70. एक ओर शिल्का की रडार-गाइडेड चार बैरल वाली मशीन गन आसमान को चीरने लगी, तो दूसरी ओर L-70 की सटीक और दूर तक मार करने वाली 40 मिमी ऑटोमैटिक गन ने दुश्मन के हर ड्रोन को हवा में ही ढेर कर दिया.;
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत की सुरक्षा में सेंध लगाने के लिए अपने ड्रोन भेजे. हवा में मंडराते ये दुश्मन के आंख और कान बन चुके थे, लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि भारत की सरहदें अब पहले जैसी नहीं रहीं. जैसे ही रडार पर हलचल हुई, इंडियन सिक्योरिटी सिस्टम हरकत में आ गया.
इसके बाद आकाश में गरज उठा ZSU-23-4 शिल्का. एक ऐसा हथियार जिसने सैकड़ों ड्रोन को चीरते हुए पाकिस्तानी मंसूबों को धूल चटा दी. शिल्का की चारों बैरल से निकलीं गोलियां अंधेरे आसमान को चीरती हुई दुश्मन पर बरस पड़ीं. एक के बाद एक ड्रोन गिरते गए. वहीं दूसरी ओर, L-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन भी खामोशी से नहीं बैठी. जैसे ही दुश्मन का कोई ड्रोन उसकी रेंज में आया, उसने बिजली की रफ्तार से जवाब दिया. चलिए जानते हैं दोनों की खासियत.
ZSU-23-4 शिल्का से छुड़ाए छक्के
ZSU-23-4 शिल्का एक पुराना योद्धा, जो अब पहले से कहीं ज़्यादा घातक बन चुका था. कभी सिर्फ एंटी-एयरक्राफ्ट फायर के लिए जाना जाने वाला शिल्का अब हाइब्रिड एंटी-ड्रोन सिस्टम में तब्दील हो चुका था. उसके 23 मिमी के ऑटो कैनन अब न सिर्फ विमान, बल्कि कम ऊंचाई पर उड़ते छोटे लेकिन खतरनाक ड्रोन को भी पलभर में ध्वस्त कर सकते थे.
ZSU-23-4 शिल्का की विशेषताएं
- कैलिबर: 23 मिमी-दुश्मन के ड्रोन और विमानों को भेदने वाला शक्तिशाली गोला.
- बैरल: 4-चार नालों से एकसाथ बरसती गोलियों की बारिश.
- फायर रेट: 3400–4000 राउंड/मिनट-पलभर में आसमान साफ कर देने की क्षमता.
- प्रति बैरल फायर रेट: 850–1000 राउंड/मिनट-हर बैरल अपनी रफ्तार से कहर बरपाता है.
- प्रभावी रेंज: 2.5 किमी-इतने दायरे में कोई भी हवाई खतरा सुरक्षित नहीं.
- स्पीड: 50 किमी/घंटा-सीमाओं पर तेजी से मूव करने में सक्षम.
- वजन: 20 टन-भारी, लेकिन बेहद संतुलित और स्थिर हथियार प्रणाली.
L-70 ने किया दुश्मन को पस्त
जब पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत की सरहद पर ड्रोन के जरिए हमला करने की कोशिश की, तो उसे उम्मीद नहीं थी कि सामने एक ऐसा योद्धा खड़ा होगा, जिसने दशकों से हर चुनौती का सामना डटकर किया है. L-70. कोई साधारण गन नहीं, बल्कि भारत की वायु सुरक्षा की रीढ़ है.
40 मिमी की इस ऑटोमैटिक एंटी-एयरक्राफ्ट गन की गूंज तब से सुनाई देती आ रही है जब इसे पहली बार स्वीडन की प्रसिद्ध कंपनी बोफोर्स ने डिज़ाइन किया था. जैसे ही एक तेज़ रफ्तार पाकिस्तानी ड्रोन ने भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश की, L-70 हरकत में आ गई। उसके ऑटोमैटिक ट्रैकिंग सिस्टम ने टारगेट को पकड़ा.
L-70 की खासियत
- कैलिबर: 40 मिमी- दुश्मन के हवाई हथियारों को गिराने वाला दमदार गोला.
- गन बैरल की लंबाई: 70 कैलिबर -लंबी बैरल से बेहतर सटीकता और दूरी तक मार.
- फायरिंग रेट: 300 राउंड/मिनट-संतुलित गति से सटीक और प्रभावशाली फायरिंग.
- प्रभावी रेंज: 3 से 4 किमी-मध्यम दूरी के हवाई लक्ष्यों के लिए खतरनाक सीमा.
- कंट्रोल सिस्टम: रडार-गाइडेड या इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल-आधुनिक टारगेटिंग से लैस, दिन-रात सटीक मार की क्षमता.