अमरनाथ ड्यूटी से हटाए गए अधिकारी! क्या फिर से बहाल होगा जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा? बढ़ी हलचल
जम्मू-कश्मीर को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. अमरनाथ यात्रा ड्यूटी से अधिकारियों को अचानक हटाए जाने से अटकलों को बल मिला है कि केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने की तैयारी में है. इल्तिजा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रियाएं भी माहौल को और रहस्यमय बना रही हैं. जनता और प्रशासन दोनों में संशय की स्थिति बनी हुई है.;
जम्मू-कश्मीर में अचानक प्रशासनिक हलचल देखने को मिली जब अमरनाथ यात्रा ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से मूल पदों पर लौटने का निर्देश दिया गया. भगवती नगर यात्री निवास, राम मंदिर पुरानी मंडी और गीता भवन पर तैनात कर्मचारियों को हटाकर वापस बुला लिया गया है. यह फैसला यात्रा के दौरान बीच में लिया जाना चर्चा का विषय बन गया है.
जम्मू जिला प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा 2025 की तैनाती को लेकर पहले जारी सभी आदेश निरस्त किए जाते हैं और सभी कर्मचारी तत्काल प्रभाव से कार्यमुक्त माने जाएंगे. प्रशासनिक हलचल को देखते हुए सियासी गलियारों में एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि क्या केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देने की तैयारी में है?
छह साल पुराने घटनाक्रम की यादें ताजा
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में कहा कि जैसे छह साल पहले 4 अगस्त 2019 को कश्मीर में बेचैनी का माहौल था, वैसा ही अब भी महसूस हो रहा है. उन्होंने संकेत दिया कि एक हफ्ते से खामोश चर्चाएं फिर किसी बड़े फैसले की आहट दे रही हैं. उनके इस बयान ने अटकलों को और हवा दे दी है.
उमर अब्दुल्ला ने जताई निराशा, लेकिन छोड़ी उम्मीद
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हालांकि इन तमाम अटकलों को लेकर निराशा जताई है. उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि मंगलवार को कुछ बड़ा होगा. न ही कुछ बुरा होगा और न ही कुछ अच्छा. लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि संसद के मानसून सत्र में जम्मू-कश्मीर के लिए सकारात्मक पहल की उम्मीद बनी हुई है.
क्या राज्य का दर्जा मिलने की है तैयारी?
पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार के कदमों को लेकर यह आशंका जताई जाती रही है कि जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट पहले ही केंद्र को निर्देश दे चुका है कि जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल किया जाए. अब अधिकारियों को ड्यूटी से हटाने और नेताओं के बयानों ने इस चर्चा को फिर मजबूती दी है.
जनता और प्रशासन दोनों में संशय की स्थिति
एक ओर प्रशासनिक आदेशों से अधिकारी और कर्मचारी असमंजस में हैं तो दूसरी ओर आम जनता भी सोशल मीडिया पर हो रही चर्चाओं से बेचैन है. राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया, प्रशासन की चुप्पी और अचानक लिए गए फैसले इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि केंद्र सरकार एक बार फिर कश्मीर को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकती है. हालांकि, अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी साफ नहीं है.