'हजारों जवाबों से अच्छी मेरी खामोशी'; जब मनमोहन सिंह पर लगा ये आरोप तो शायराना अंदाज में सुनाया ये शेर
Manmohan Singh: भारत के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया. उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में आखिरी सांस ली. मई 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, डॉ. सिंह ने देश को आर्थिक और सामाजिक विकास की ओर अग्रसर किया.;
Manmohan Singh: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह अपने शांत स्वभाव और आर्थिक सुधारों के लिए हमेशा याद किए जाएंगे. उनकी खामोशी के किस्से उतने ही मशहूर हैं, जितने उनके आर्थिक नीतियों के फैसले. 27 अगस्त 2012 को कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों ने संसद और देश में हलचल मचा दी थी. विपक्ष ने मनमोहन सिंह की चुप्पी को मुद्दा बनाया. लेकिन जब मीडिया ने संसद भवन के बाहर उनसे सवाल किए, तो उन्होंने बड़ी शालीनता से एक शेर सुनाया: "हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रखी."
डॉ. सिंह के आर्थिक सुधार
1991 में, जब भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी, पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बने डॉ. सिंह ने साहसिक फैसले लिए. देश का फिस्कल डेफिसिट 8.5% और करेंट अकाउंट डेफिसिट 3.5% था. विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम था कि देश केवल दो सप्ताह तक आयात कर सकता था.
1991 के बजट ने बदली अर्थव्यवस्था की दिशा
डॉ. सिंह ने केंद्रीय बजट 1991-92 के माध्यम से नए आर्थिक युग की शुरुआत की. इसमें शामिल थे: लाइसेंस राज का खात्मा, इनकरेजमेंट ऑफ फॉरेन इन्वेस्टमेंट (एफडीआई), रुपये का अवमूल्यन, प्राइवेटाइजेशन को बढ़ावा. इन सुधारों ने भारत को वैश्विक मंच पर आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित किया.
प्रधानमंत्री के रूप में 10 साल का सफर
मई 2004 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, डॉ. सिंह ने देश को आर्थिक और सामाजिक विकास की ओर अग्रसर किया. साल 2005 में मनरेगा लेकर आए (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम), रोजगार उपलब्ध कराने की ऐतिहासिक योजना लाई, वैट सिस्टम का इंप्लीमेंटेशन किया. टैक्स रिफार्म्स की दिशा में अहम कदम और 2007 में 9% की हाईएस्ट इकोनॉमिक ग्रोथ ने भारत को विश्व की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना दिया.
भारत के महानायक की विदाई
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन शांत स्वभाव, दूरदृष्टि और गहरी समझ का प्रतीक था. उनकी खामोशी और उनके फैसले भारत की अर्थव्यवस्था और राजनीति में हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेंगे.