824 घायल, 189 मरे, फिर भी केस नहीं साबित कर पाई पुलिस; हाईकोर्ट ने 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के 12 दोषियों को किया बरी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 के 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में दोषी ठहराए गए 12 आरोपियों की सजा को रद्द कर दिया है. विशेष अदालत ने 2015 में पांच लोगों को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को 'संदेह से परे' साबित करने में पूरी तरह असफल रहा. इस फैसले से 189 लोगों की मौत और 824 घायल होने वाले हमले के मामले में नया मोड़ आ गया है. अदालत ने सभी दोषियों की अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया.;
2006 के 7/11 मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में नया मोड़ आया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को उस विशेष अदालत के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें 12 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था. 2015 में विशेष एमसीओसीए अदालत ने इनमें से पांच आरोपियों को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट की विशेष पीठ ने पाया कि अभियोजन पक्ष दोष साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है.
क्या था मामला?
11 जुलाई 2006 को मुंबई की उपनगरीय ट्रेनों में सात सिलसिलेवार बम धमाकों ने पूरे देश को झकझोर दिया. ये धमाके पश्चिम रेलवे लाइन पर भीड़भाड़ के समय किए गए थे. इन सात समन्वित हमलों में 189 लोगों की मौत हो गई, जबकि 800 से अधिक लोग घायल हुए. बमों को प्रेशर कुकर कंटेनरों में रखा गया था, जो फर्स्ट-क्लास डिब्बों में लगाए गए थे. इस घटना ने मुंबई को हिला कर रख दिया और देशभर में एक बड़े काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशन की शुरुआत हुई.
हाईकोर्ट की प्रक्रिया
2015 में महाराष्ट्र सरकार ने पांच दोषियों को दी गई फांसी की सजा की पुष्टि के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. वहीं, दोषियों ने भी फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी. हाईकोर्ट ने 2024 में इस मामले के लिए एक विशेष पीठ गठित की थी, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस अनिल किलोर कर रहे थे. इस पीठ ने लगभग छह महीने तक नियमित सुनवाई की और पांच महीने पहले अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
आरोपी कौन थे?
फांसी की सजा पाने वाले पांच दोषियों में बिहार के कमाल अंसारी, मुंबई के मोहम्मद फैसल अतर रहमान शेख, ठाणे के एहतशाम सिद्दीकी, सिकंदराबाद के नावेद हुसैन खान और महाराष्ट्र के जलगांव के आसिफ खान शामिल थे. इन पर बम प्लांट करने का आरोप था. इनमें से एक आरोपी की मौत 2021 में COVID-19 के कारण हो गई थी.
दोनों पक्षों की दलीलें
अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ वकीलों- एस मुरलीधर, युग मोहित चौधरी, नित्या रामकृष्णन और एस नागमुथु, ने दलील दी कि अभियोजन पक्ष का केस कई खामियों से भरा था और ट्रायल कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया. राज्य सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील राजा ठाकरे ने तर्क दिया कि यह मामला 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' श्रेणी में आता है और फांसी की सजा उचित थी.
2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट की पूरी कहानी
हमला कब और कहां हुआ?
- तारीख: 11 जुलाई 2006
- समय: शाम 6:24 बजे से 6:35 बजे के बीच
- स्थान: मुंबई की पश्चिम रेलवे लाइन
- टारगेट: फर्स्ट-क्लास डिब्बे
- ट्रेन रूट: चर्चगेट से विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनें
सिर्फ 11 मिनट के भीतर सात बम धमाकों ने मुंबई की जीवनरेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनों को दहला दिया.
बम कैसे लगाए गए थे?
बम प्रेशर कुकर में बनाए गए IEDs (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) थे. इनमें RDX, अमोनियम नाइट्रेट और जिलेटिन की छड़ें इस्तेमाल हुईं. बम को डिब्बों के अंदर बैग में रखा गया ताकि किसी को शक न हो. धमाके के लिए डिजिटल टाइमर का इस्तेमाल किया गया.
किसने किया हमला?
जांच में सामने आया कि इसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा और Students Islamic Movement of India (SIMI) का हाथ था. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI पर भी हमले की साजिश रचने का आरोप लगा. जांच में पाया गया कि हमलावर पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेकर आए थे और सीमा पार से RDX भारत में लाया गया.
हमले के बाद क्या हुआ?
मुंबई पुलिस और ATS (Anti-Terrorism Squad) ने बड़े पैमाने पर जांच शुरू की. एक साल के भीतर 13 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई. उन पर आरोप लगा कि उन्होंने आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया और धमाके की प्लानिंग में मदद की. 2015 में विशेष MCOCA कोर्ट ने 12 आरोपियों को दोषी ठहराया. 5 आरोपियों को मौत की सजा, जबकि अन्य 7 को उम्रकैद हुई. अभियोजन पक्ष ने कहा कि यह हमला ISI प्रायोजित साजिश थी.