देशभर में समय से पहले आया मॉनसून, दिल्ली-NCR में बारिश, उत्तराखंड-हिमाचल में तबाही; इन जगहों पर रेड अलर्ट
झारखंड के जमशेदपुर और रामगढ़ जिलों में लगातार भारी बारिश हो रही है. इससे कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. रजरप्पा मंदिर के पास बह रही भैरवी नदी के तेज बहाव में एक युवक की जान चली गई.;
इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून ने देशभर में अपनी सामान्य तारीख से नौ दिन पहले ही दस्तक दे दी है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि मानसून 8 जुलाई की अपेक्षित तारीख से काफी पहले ही पूरे भारत में पहुंच चुका है. यह असामान्य घटनाक्रम एक ओर जहां खेतों में हरियाली की उम्मीद जगाने वाला है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं ने चिंता बढ़ा दी है. खासकर पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश, भूस्खलन, बादल फटने और नदियों के उफान ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है.
हिमाचल प्रदेश में मानसून के दस्तक देते ही प्राकृतिक आपदाओं की बाढ़ आ गई है. 25 जून को कुल्लू जिले में बादल फटने की घटना ने स्थानीय लोगों को दो साल पहले मनाली में आई भीषण बाढ़ की याद दिला दी. इसके बाद सोलन जिले में मूसलाधार बारिश के कारण प्रसिद्ध शिमला-कालका रेललाइन को भारी क्षति पहुंची और यातायात बाधित हो गया.
हिमाचल प्रदेश: पहाड़ों पर आफत की बारिश
भूस्खलन के चलते कई राष्ट्रीय राजमार्गों को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है, जिससे दूर-दराज़ के इलाकों से संपर्क टूट गया है. मंडी जिले में ब्यास नदी अपने पूरे उफान पर है. लारजी डैम में जबरदस्त जलभराव के कारण पंडोह डैम के सभी पांच गेट खोल दिए गए हैं. प्रशासन के मुताबिक डैम में प्रति सेकंड 44,000 क्यूसेक पानी आ रहा है और इतनी ही मात्रा में छोड़ा भी जा रहा है,
मनाली सहित ब्यास नदी के किनारे बसे कई इलाकों में लोग डर के साये में जी रहे हैं, क्योंकि नदी का तेज बहाव अपने पुराने रास्तों को तोड़कर नए रास्ते बना रहा है, जिससे तटवर्ती घरों और दुकानों को खतरा पैदा हो गया है. अब तक बारिश, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं में हिमाचल प्रदेश में 30 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.
मौसम विभाग ने राज्य के 10 जिलों- बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना में 1 जुलाई तक भारी बारिश, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड की चेतावनी जारी की है. प्रशासन ने स्थानीय लोगों और पर्यटकों को नदी-नालों के पास न जाने और पहाड़ी रास्तों से बचने की अपील की है.
उत्तराखंड: चारधाम यात्रा पर रोक
उत्तराखंड में भी मानसून की रफ्तार और ताकत का असर साफ नजर आ रहा है। भारी बारिश को देखते हुए मौसम विभाग ने ‘रेड अलर्ट’ जारी किया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए राज्य प्रशासन ने चारधाम यात्रा को 24 घंटे के लिए स्थगित कर दिया है. बद्रीनाथ और केदारनाथ की ओर जाने वाले श्रद्धालुओं को श्रीनगर और रुद्रप्रयाग में रोक दिया गया है, जबकि यमुनोत्री और गंगोत्री की ओर जाने वाले यात्रियों को विकासनगर और बड़कोट में ठहराया गया है. उत्तरकाशी जिले के सिलाई बैंड क्षेत्र में बादल फटने के कारण एक निर्माणाधीन होटल पर भूस्खलन हो गया, जिसमें नौ मजदूर मलबे में दब गए. अब तक दो शव बरामद किए जा चुके हैं जबकि सात अन्य की तलाश जारी है. यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे भी भूस्खलन के चलते पूरी तरह बंद हो गए हैं.
झारखंड में तेज बहाव में बही ज़िंदगी
झारखंड के जमशेदपुर और रामगढ़ जिलों में लगातार भारी बारिश हो रही है. इससे कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. रजरप्पा मंदिर के पास बह रही भैरवी नदी के तेज बहाव में एक युवक की जान चली गई. प्रशासन ने स्थानीय निवासियों को नदियों और नालों के किनारे से दूर रहने की सख्त हिदायत दी है.
उत्तर प्रदेश: ऊफान पर गंगा
प्रयागराज में गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर चुकी है, जिससे कई निचले इलाके जलमग्न हो गए हैं. बस्तियों में पानी भरने से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं. प्रशासन राहत कार्यों में जुटा हुआ है, लेकिन तेज बारिश और जलभराव के चलते स्थिति लगातार बिगड़ रही है.
राजस्थान और ओडिशा
राजस्थान के पाली जिले और ओडिशा के मयूरभंज में भी भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिए हैं. ओडिशा में बुधबलंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे आसपास के गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. खेत, सड़कें और घर जलभराव की चपेट में आ चुके हैं।
खतरे की घंटी अभी टली नहीं
भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले 24 से 48 घंटों तक देश के कई हिस्सों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना बनी हुई है. उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में विशेष रूप से भूस्खलन और फ्लैश फ्लड का खतरा बरकरार है. हिमाचल, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों के प्रशासन ने जनता से सतर्क रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है. राहत और बचाव दल पूरी तरह से मुस्तैद हैं, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए सभी को सजग रहना होगा.