भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली संस्था फिर... लोकपाल की लग्जरी लिस्ट में 7 BMW कारों के टेंडर से सोशल में मचा हल्ला
BMW Cars: लोकपाल ऑफ इंडिया ने सात BMW 330Li M Sport कारों की खरीद के टेंडर निकाला है. एक कार की कीमत 70 लाख रुपये हैं. सोशल मीडिया पर उसके इस कदम की आलोचना हो रही है. क्योंकि संस्था का गठन भ्रष्टाचार की जांच के लिए हुआ था. अब खुद लग्जरी डिमांड कर रहे हैं.;
BMW Cars: भारत सरकार ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. लोकपाल ने 16 अक्टूबर को सात BMW 330Li M Sport कारों की खरीद के लिए एक सार्वजनिक टेंडर जारी किया है. इस खबर से हड़कंप मच गया है. जिससे लगभग 5 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकपाल ऑफ इंडिया ने अपनी ट्रांसपोर्ट सर्विस को लग्जरी बनाने के लिए टेंडर जारी किया है. हर गाड़ी की कीमत करीब 30 लाख रुपये बताई जा रही है. अब सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर विवाद छिड़ गया है.
लोकपाल ने निकाला टेंडर
- लोकपाल ने 7 सदस्यीय टीम के लिए BMW 330Li M Sport कारों का टेंडर निकाला है.
- कार मॉडल और कलर BMW 330Li M Sport, लंबे व्हीलबेस' और सफेद रंग के 'एम स्पोर्ट' मॉडल के लिए जारी किया गया है.
- प्रत्येक कार की कीमत लगभग 70 लाख रुपये है, जिससे कुल लागत 5 करोड़ रुपये के आसपास है.
- कारों की डिलीवरी का समय 30 दिनों के अंदर तय किया है और समय बढ़ाने की इजाजत नहीं होगी.
- जिसे टेंडर मिलेगा उसे ड्राइवरों और कर्मचारियों के लिए सात दिन का ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित करना होगा, जिसमें कारों की सुरक्षा प्रणालियों और संचालन की जानकारी दी जाएगी.
- बोली लगाने की अंतिम तिथि 6 नवंबर है और बोली लगाने वालों को 10 लाख रुपये की पहले ही जमा करने होंगे.
लोकपाल सदस्यों के नाम
7 सदस्यीय लोकपाल टीम के अध्यक्ष जस्टिस खानविलकर है. उनके अलावा इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय यादव; कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ऋतु राज अवस्थी, कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एल नारायण स्वामी, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा, गुजरात के पूर्व मुख्य सचिव पंकज कुमार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के पूर्व सचिव अजय टिकरे शामिल हैं.
टेंडर पर राजनीतिक विवाद
लोकपाल के BMW 330Li M Sport कारों का टेंडर निकालने के बाद सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई है. पूर्व नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस कदम की आलोचना की. उन्होंने कहा, मेड इन इंडिया इलेक्ट्रिक कारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकपाल अब 70 लाख रुपये की BMW कारें खरीद रहा है, जबकि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाली संस्था है. कांग्रेस नेता प. चिदंबरम ने पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को साधारण सेडान मिलती हैं, तो लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों को BMW कारों की आवश्यकता क्यों है?
विवाद पर लोकपाल का कहना है कि यह कदम न्यायिक अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं के अनुरूप है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह सरकारी धन के दुरुपयोग हो रहा है. लोग यह भी कह रहे हैं खुद भ्रष्टाचार खत्म करने आए थे, अब लग्जरी कार की मांग का क्या मतलब है.