IndiGo संकट की सच्चाई: मंत्री बोले ‘लापरवाही की वजह से भारी असर’, एयरलाइन प्रबंधन ने क्या कहा?
केंद्रीय उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इंडिगो संकट को ‘घोर कुप्रबंधन’ का परिणाम बताया. साथ ही कहा कि इसके लिए एयरलाइन प्रबंधन जिम्मेदार है. वहीं इंडिगो के चीफ विक्रम मेहता ने बोर्ड जांच और सेवा में सुधार के संकेत दिए. जानिए उन्होंने और क्या कहा?;
नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने देश की प्रमुख एयरलाइन इंडिगो के हालिया ऑपरेशन संकट के लिए प्रबंधन की 'घोर लापरवाही' को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें हजारों यात्रियों को उड़ान रद्दीकरण और देरी जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ा. मंत्री ने खुलकर कहा कि अगर जांच में यह पाया जाता है कि समस्या जानबूझकर या कुप्रबंधन के कारण हुई है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी और एयरलाइन के शीर्ष प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
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इस बीच एयरलाइन के चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता ने कहा है कि संकट के हर पहलू की जांच के लिए निदेशक मंडल सक्रिय रहा है और वो विमान सेवा को बेहतर करने के उपायों पर काम कर रहे हैं. मेहता ने संकेत दिया है कि कंपनी ग्राहक अनुभव और ऑपरेशनल स्थिरता को बहाल करने के लिए कदम उठा रही है, ताकि यात्रियों का भरोसा वापस लाया जा सके.
संकट के लिए एयरलाइन जिम्मेदार
दरअसल, दिसंबर के शुरुआती दिनों में देश भर में सैकड़ों इंडिगो फ्लाइट्स रद्द होने की वजह से कई दिनों तक कई महानगरों में हवाई यात्रा ठप हो गई. यात्रियों को बड़े पैमाने पर परेशानी हुई. इसके लिए आज तक के सवालों के जवाब में कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने इस गड़बड़ी के लिए एयरलाइन को जिम्मेदार ठहराया.
राम मोहन नायडू ने कहा कि यह इंडिगो की 'घोर लापरवाही', थी जो इस रुकावट की जड़ थी. हालांकि, 10 दिसंबर को इंडिगो की सेवाएं सामान्य हो गईं, लेकिन एयरलाइंस के ऑपरेशन को लेकर चिंताएं बनी हुई हैं. उड्डयन मंत्री ने कहा कि इस संकट से बचा जा सकता था और यह एक आश्चर्य की बात थी.
किस वजह से संकट आई सामने
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि इंटरनल क्रू रोस्टरिंग सिस्टम में कुछ दिक्कतें थीं, जिनसे फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) गाइडलाइन के तहत नए नियमों का पालन करके बचा जा सकता था, जो दुर्भाग्य से नहीं हुआ. यही वजह है कि हमने 3 और 4 दिसंबर को फ्लाइट रद्द होने का डोमिनो इफेक्ट देखा." मंत्री ने पहले भी कहा था कि फ्लाइट में रुकावट नवंबर 2025 में लागू हुए नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के तहत पायलट वर्कफोर्स की जरूरतों का इंडिगो के गलत अनुमान लगाने की वजह से हुई.
केंद्रीय मंत्री नायडू ने कहा कि 1 दिसंबर को इंडिगो के साथ एक अहम मीटिंग की थी. मीटिंग यह जानने के लिए कि किया था कि क्या उन्हें नए नियमों से कोई समस्या या चिंता है. "उन्होंने कभी जिक्र नहीं किया कि उन्हें कोई समस्या है." बावजूद मंत्रालय इस बात को लेकर सतर्क था. सभी ऑपरेशनल निगरानी का ध्यान रख रहे थे और यह सुनिश्चित कर रहे थे कि सब कुछ सामान्य हो. हमने उन्हें कई मौके भी दिए थे, अगर ऐसी कोई घटना थी तो उन्हें हमारे पास आना चाहिए था. मंत्री ने आगे कहा कि रेगुलेटर होने के नाते, जो एविएशन सेक्टर के पूरे कामकाज और मामलों की देखरेख कर सकता है, वह असल में कमर्शियल करियर कंपनी के अंदरूनी कामकाज से जुड़ी हर छोटी-बड़ी चीज पर नजर नहीं रख सकता.
इंडिगो चीफ ने मांगी माफी
इंडिगो के चीफ विक्रम सिंह मेहता ने हाल के संकट के लिए विस्तार से सार्वजनिक माफी मांगी और उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया कि एयरलाइन ने जान बूझकर नए पायलट थकान नियमों से बचने के लिए संकट पैदा किया था. विक्रम मेहता ने माना कि 3 दिसंबर से बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिल होने के बाद एयरलाइन ने ग्राहकों को निराश किया और कहा कि DGCA घटनाओं के क्रम की जांच कर रहा है.
सुरक्षा से समझौते का आरोप गलत
उन्होंने कहा कि इंडिगो मूल कारणों का पता लगाने और ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए बाहरी तकनीकी विशेषज्ञों को लाएगा. हेरफेर के दावों को खारिज करते हुए, उन्होंने कहा कि एयरलाइन ने संकट पैदा किया, नियमों को प्रभावित किया या सुरक्षा से समझौता किया, ये आरोप गलत हैं.
विक्रम मेहता ने 3-5 दिसंबर की अवधि को छोटी-मोटी दिक्कतों, सर्दियों के शेड्यूल में बदलाव, मौसम की समस्याओं और नेटवर्क कंजेशन से पैदा हुई "अप्रत्याशित घटनाओं की श्रृंखला" बताया. उन्होंने कहा कि इंडिगो ने ऑपरेशन को स्थिर कर लिया है. अब रोजाना इंडिगो की 1,900 सेवाएं चल रही हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि ग्राहकों का भरोसा दोबारा बनाना "बातों पर नहीं, बल्कि कामों पर निर्भर करेगा."