जब तुम खुद ही कमा सकती हो... Alimony में मांगे थे 12 करोड़ और BMW, तो SC ने क्या- क्या देने का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत एक विवाह को भंग करते हुए पति को पत्नी को मुंबई के पॉश इलाके में 4 करोड़ का फ्लैट देने का आदेश दिया. कोर्ट ने महिला की 12 करोड़ नकद और BMW की मांग खारिज की. पति बेरोजगार और पत्नी उच्च शिक्षित हैं, इसलिए फ्लैट को स्थायी गुजारा भत्ता माना गया. कोर्ट ने लिंक्डइन प्रोफाइल को आय का प्रमाण नहीं माना और निष्पक्ष समाधान के लिए विशेष अधिकारों का उपयोग किया.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक असाधारण फैसले में संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए एक विवाह को भंग करते हुए पति को आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी को मुंबई के पॉश इलाके में एक 4 करोड़ रुपये की कीमत वाला फ्लैट गिफ्ट करे. कोर्ट ने महिला द्वारा मांगी गई अतिरिक्त 12 करोड़ की राशि और एक BMW कार की मांग को ठुकरा दिया.
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ - चीफ जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एन वी अंजनिया - ने दिया. कोर्ट ने माना कि दोनों पक्षों का यह दूसरा विवाह था और यह रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका है, इसलिए इसे कानूनी रूप से समाप्त किया जाना आवश्यक था. अदालत ने इसे 'दूसरे मौके का प्रयास' बताया जो सफल नहीं हो सका.
पति बेरोजगार, पत्नी उच्च शिक्षित - कोर्ट का संतुलित नजरिया
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि इस मामले में महिला की पहली शादी से मिले स्थायी भरण-पोषण भत्ते का इस दूसरी शादी के मामले में कोई प्रभाव नहीं होगा. अदालत ने अधिवक्ताओं माधवी दिवान और प्रभजीत जौहर की दलीलों को मानते हुए यह कहा कि महिला एक शिक्षित पेशेवर हैं - इंजीनियरिंग में डिग्री और प्रबंधन में मास्टर्स रखने वाली - और वह खुद को भरण-पोषण देने में सक्षम हैं.
पति इस समय बेरोजगार है, इसलिए अदालत ने निर्देश दिया कि वह मुंबई के डॉ एसएस रोड स्थित ‘कलपतरु सोसाइटी’ में स्थित फ्लैट को बिना किसी कर्ज के पत्नी के नाम गिफ्ट करें और 26 लाख रुपये की बकाया राशि भी 1 सितंबर तक चुका दें.
लिंक्डइन प्रोफाइल पर नहीं किया भरोसा
महिला ने दावा किया था कि पति की कमाई अच्छी है और उसका लिंक्डइन प्रोफाइल उसके पेशेवर रुतबे को दर्शाता है. इसके आधार पर उसने 12 करोड़ नकद और एक BMW कार की मांग की थी. हालांकि, पीठ ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, "हम लिंक्डइन प्रोफाइल पर भरोसा नहीं कर सकते." कोर्ट ने यह भी माना कि पत्नी का आईटी क्षेत्र में अनुभव और शैक्षणिक योग्यता उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए पर्याप्त हैं. इस आधार पर कोर्ट ने कहा कि 4 करोड़ का फ्लैट एक उचित और पर्याप्त स्थायी गुजारा भत्ता होगा.
पति को दिए गए आदेश की समयसीमा
- 30 अगस्त 2025 तक पति को फ्लैट का गिफ्ट डीड पत्नी के नाम करना होगा
- 1 सितंबर 2025 तक ₹26 लाख की बकाया राशि सोसाइटी को अदा करनी होगी
अनुच्छेद 142 का उपयोग क्यों?
अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को विशेष शक्तियां देता है जिससे वह न्याय के हित में कोई भी आदेश पारित कर सकता है, भले ही वह अन्य कानूनी प्रावधानों में सीधे न हो. इस मामले में कोर्ट ने इस अनुच्छेद का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया कि दोनों पक्षों को उचित न्याय मिल सके और लंबे समय से चले आ रहे विवाद का निष्पक्ष समाधान हो.