अस्पताल में मरीज की मौत पर मचा बवाल, भीड़ ने बाथरुम में घुसकर नर्सों को पीटा

कोलकाता में विद्यासागर स्टेट जनरल अस्पताल में शुक्रवार रात एक मरीज की मौत हो गई. मौत के बाद उसके परिवार और पड़ोसियों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. स्वास्थ्य सेवा के कार्यकर्ताओं ने इस हिंसा के खिलाफ कड़ा विरोध जताया और अधिकारियों से अपील की कि अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति को मजबूत किया जाए.;

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कोलकाता: बेहाला के पास विद्यासागर स्टेट जनरल अस्पताल में शुक्रवार रात एक दुखद घटना हुई, जिसमें अस्पताल के कर्मचारियों पर हमला किया गया. इस हिंसा में कम से कम तीन नर्सों को चोटें आईं, जिनमें से एक को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. यह घटना तब हुई जब 32 वर्षीय शेख महमूद आलम की मौत के बाद उसके परिवार और पड़ोसियों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया. आलम की मृत्यु के कारण अस्पताल में माहौल बुरा हो गया और वहां मौजूद लोगों ने न केवल अस्पताल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, दवाई, इंजेक्शन फेके, बल्कि तीन नर्सों को भी घायल कर दिया.

शेख महमूद आलम को रात लगभग 8:30 बजे सीने में दर्द की शिकायत के साथ बेहाला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसे दिल का दौरा पड़ा था, और अस्पताल में कई परीक्षणों के बाद हृदय से जुड़ी समस्याएं सामने आईं. अस्पताल अधिकारियों के अनुसार, उसे तुरंत सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) दिया गया, लेकिन करीब 9 बजे आलम की मृत्यु हो गई. हालांकि, उसके परिवार ने आरोप लगाया कि उसकी मृत्यु ईसीजी (ECG) के दौरान हुई थी.

जब इस घटना की जानकारी फैलने लगी, तो आलम के परिवार के सदस्य और पड़ोसी अस्पताल में जमा हो गए. देखते ही देखते उनकी संख्या 100 के करीब पहुंच गई. परिवारवालों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया और मौत के कारण के बारे में साफ जानकारी की मांग की. अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें स्थिति की पूरी जानकारी देने की कोशिश की और शव की पेशकश की, लेकिन परिवार ने मना कर दिया और डेथ सर्टिफिकेट की मांग की.

हिंसा और तोड़फोड़

डेथ सर्टिफिकेट मिलने के बाद भी हालात सुधरे नहीं. अस्पताल के अधिकारियों के अनुसार, परिवारवालों ने इस पर भी आपत्ति जताई और सभी मेडिकल दस्तावेज़ की मांग की. जब अस्पताल ने दस्तावेज़ देने से इनकार किया (क्योंकि सरकारी अस्पताल अदालत के आदेश के बिना यह दस्तावेज़ नहीं दे सकते), तो बहस बढ़ गई और भीड़ ने हिंसा का रूप ले लिया. नर्सों पर हमला किया गया, उनके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग किया गया, और कुछ नर्सों को खुद को बचाने के लिए शौचालय में छिपना पड़ा.

आस्पताल में सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठाए गए, क्योंकि घटनास्थल पर सुरक्षा गार्डों की संख्या कम थी. बाद में पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को कंट्रोल किया. हालांकि, अस्पताल कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि घटना की सूचना पहले ही पुलिस को दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए सुरक्षा की आवश्यकता

नर्स यूनिटी की सदस्य भास्वती मुखर्जी ने इस घटना पर गहरा दुख जताया और सवाल उठाया कि क्या ऐसे हमले ड्यूटी पर रहते हुए जारी रहेंगे. सहायक सचिव बिभा मैती ने कहा कि हमलावरों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है और अस्पताल में घायल हुई नर्सों की मदद की जा रही है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आलम को अत्यधिक गंभीर स्थिति में लाया गया था और स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की पूरी कोशिश के बावजूद उसकी मृत्यु हो गई.

स्वास्थ्य सेवा के कार्यकर्ताओं ने इस हिंसा के खिलाफ कड़ा विरोध जताया और अधिकारियों से अपील की कि अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति को मजबूत किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके.

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

पुलिस ने अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है और 13 से पूछताछ की है. इस पूरे घटनाक्रम में अधिकारियों ने अस्पताल के कर्मचारियों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

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