केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के वो 5 फायदे, जो बदलकर रख देंगे बुंदेलखंड की तस्वीर, PM मोदी ने रखी आधारशिला
Ken-Betwa link project: केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में वरदान साबित होने वाला प्रोजेक्ट है. इससे किसानों के लिए सिंचाई से लेकर हाइड्रोपावर और पीने के पानी का लाभ मिलेगा.;
Ken-Betwa link project: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार यानी 25 दिसंबर 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी. सरकार के इस कदम को ऐतिहासिक बताया जा रहा है. जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक, केबीएलपी प्रोजेक्ट को आठ सालों में पूरा किया जाना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2021 में केबीएलपी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपये (2020-21 की कीमतों पर) को मंजूरी दी थी. दौधन बांध 2,031 मीटर लंबा है, जिसमें से 1,233 मीटर मिट्टी का होगा और बाकी 798 मीटर कंक्रीट का होगा. बांध की ऊंचाई 77 मीटर होगी. जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक, बांध से करीब 9,000 हेक्टेयर जमीन डूबेगी, जिससे 10 गांव प्रभावित होंगे. इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनसीसी लिमिटेड को दौधन बांध का ठेका दिया गया है.
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट (KBLP) की 5 खास बातें
- केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के जरिए केन नदी से पानी को बेतवा नदी में भेजा जाएगा, जो यमुना की दोनों सहायक नदियां हैं.
- केन-बेतवा लिंक नहर की लंबाई 221 किलोमीटर होगी, जिसमें 2 किलोमीटर की सुरंग भी शामिल है.
- जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट से 10.62 लाख हेक्टेयर (मध्य प्रदेश में 8.11 लाख हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 2.51 लाख हेक्टेयर) भूमि को सालाना सिंचाई की जा सकेगी.
- इस प्रोजेक्ट से लगभग 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने और 103 मेगावाट हाइड्रोपावर और 27 मेगावाट सोलर एनर्जी प्रोड्यूस की जाएगी.
- नदियों को आपस में जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रोजेक्ट के तहत यह पहला प्रोजेक्ट है, जिसे 1980 में तैयार किया गया था. इस प्रोजेक्ट के तहत 16 प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें केबीएलपी भी शामिल है. इसके अलावा हिमालयी नदियों के विकास योजना के तहत 14 लिंक प्रस्तावित हैं.
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के दो फेज हैं-
- फेज-I में दौधन बांध परिसर और इसकी सहायक इकाइयां जैसे लो लेवल टनल, हाई लेवल टनल, केन-बेतवा लिंक नहर और बिजली घर बनाना शामिल होगा.
- फेज-II में तीन कोम्पेनेंट लोअर ओर बांध, बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना और कोठा बैराज शामिल होंगे.
इससे किन क्षेत्रों को लाभ होगा?
यह परियोजना बुंदेलखंड में स्थित है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैला हुआ है. जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट पानी की कमी वाले क्षेत्र, विशेष रूप से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों के लिए लाभकारी साबित होगी. इस प्रोजेक्ट से संबंधित अधिग्रहण के कारण छतरपुर जिले में 5,228 परिवार तथा पन्ना जिले में 1,400 परिवार विस्थापित होंगे.