कौन हैं जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई, जो होंगे भारत के 52वें चीफ जस्टिस? 14 मई को लेंगे शपथ
जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा, क्योंकि वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे. वे न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन के बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय में शीर्ष पद तक पहुंचने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश होंगे. उल्लेखनीय है कि जस्टिस बालकृष्णन 2007 में मुख्य न्यायाधीश बने थे.;
भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के तौर पर जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई 14 मई को शपथ लेंगे. मौजूदा सीजेआई, जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो रहे हैं, जिसके बाद जस्टिस गवई देश की सर्वोच्च अदालत की कमान संभालेंगे. परंपरा के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस गवई का नाम कानून मंत्रालय को प्रस्तावित किया था. मंत्रालय ने हाल ही में उनसे उत्तराधिकारी के नाम की अनुशंसा मांगी थी.
जस्टिस गवई का कार्यकाल करीब छह महीने का होगा, क्योंकि वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे. वे न्यायमूर्ति केजी बालकृष्णन के बाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय में शीर्ष पद तक पहुंचने वाले दूसरे दलित न्यायाधीश होंगे. उल्लेखनीय है कि जस्टिस बालकृष्णन 2007 में मुख्य न्यायाधीश बने थे.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ. वह एक प्रतिष्ठित अंबेडकरवादी परिवार से आते हैं. उनके पिता, आर.एस. गवई, सांसद रह चुके हैं और बिहार व केरल के राज्यपाल भी रहे. गवई परिवार डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को मानते हुए बौद्ध धर्म का पालन करता है.
वकालत का सफर
- 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की
- बार. राजा एस. भोंसले (पूर्व महाधिवक्ता) के साथ काम किया
- 1987 से नागपुर बेंच में स्वतंत्र प्रैक्टिस
- महाराष्ट्र सरकार के लिए विभिन्न निगमों और संस्थानों का प्रतिनिधित्व
- 2000 में सरकारी वकील और विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए गए
न्यायिक पदों की यात्रा
- 2003: बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त
- 2005: स्थायी न्यायाधीश बने
- मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी बेंचों में काम किया
- 2019: सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त
- सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति समुदाय से करीब एक दशक बाद किसी जज की नियुक्ति
जस्टिस गवई अब तक के अपने न्यायिक कार्यकाल में 200 से अधिक फैसले लिख चुके हैं. उन्हें संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में विशेष योगदान के लिए जाना जाता है. निर्णयों में स्पष्टता और संतुलन उनकी पहचान है.
अन्य पद और जिम्मेदारियां
- महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के कुलाधिपति
- नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष, जहां वह गरीब और वंचितों के लिए मुफ्त कानूनी सहायता के प्रयासों का नेतृत्व करते हैं
जस्टिस गवई का मुख्य न्यायाधीश बनना भारतीय न्यायपालिका में समावेशिता और प्रतिनिधित्व की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. यह सामाजिक न्याय के मूल्यों को और मजबूत करने का प्रतीक है. उनसे संविधान की गरिमा और न्यायिक संतुलन बनाए रखने की उम्मीद है.