2029 में एक साथ चुनाव कराना मुश्किल, 2034 में ही शुरू हो सकता है 'वन नेशन वन इलेक्शन'

'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस पर चर्चा शुरू हो गई है, लेकिन इसकी शुरुआत साल 2034 में ही संभव है. नाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'राजनीतिक सहमति बनाना और संसद में विधेयक पारित करवाना तो बस शुरुआत है. असली काम उसके बाद शुरू होगा.;

( Image Source:  ANI, canava )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 13 Dec 2024 11:46 AM IST

One Nation One Nation: 'वन नेशन वन इलेक्शन' को लेकर चर्चा पिछले 10 सालों से चल रही है. इस बीच आखिरकार 'वन नेशन वन इलेक्शन' बिल को मोदी सरकार के कैबिनेट से मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन इस पर सस्पेंस बरकरार है कि ये कब से शुरू होगा? इसे जानने के लिए हमें कुछ टेक्निकल टर्म समझने की जरूरत है, क्योंकि सभी चुनाव को एक साथ कराने के लिए सबका कार्यकाल भी एक साथ खत्म करना होगा.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कैबिनेट से मंजूर किए गए विधेयक संसद में बिना किसी बदलाव के पारित हो जाते हैं तो लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ सबसे पहले 2034 में हो सकेंगे. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में एक नया प्रावधान आर्टिकल 82 A (1) शामिल करने का प्रस्ताव है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में नियत तिथि अधिसूचित करेंगे.

2034 में हो सकता है 'वन नेशन वन इलेक्शन' 

रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें आर्टिकल 82 A (2) शामिल करने का भी प्रस्ताव है, जिसमें कहा गया है कि नियत तिथि के बाद निर्वाचित राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति के साथ मिलाने का कम किया जाएगा. इसका मतलब यह होगा कि अगर विधेयक बिना संशोधन के पारित हो जाते हैं तो नियत तिथि केवल 2029 में निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक के दौरान अधिसूचित की जाएगी, क्योंकि इस साल निर्वाचित लोकसभा की पहली बैठक पहले हो चुकी है और अगली लोकसभा का कार्यकाल 2034 तक होगा. ऐसे में एक साथ चुनाव 2034 में ही संभव हो पाएगा.

चुनाव की तैयारियों में भी लगेगा समय

यह समय-सीमा चुनाव आयोग (EC) के लिए भी बेहतर होगी, जो पूरे देश में योजना को लागू करने के लिए मुख्य रूप से भूमिका निभाएगा. चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'राजनीतिक सहमति बनाना और संसद में विधेयक पारित करवाना तो बस शुरुआत है. असली काम उसके बाद शुरू होगा. विधानसभा और लोकसभा के लिए एक साथ मतदान की सुविधा के लिए आयोग को नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के लिए ऑर्डर देने की आवश्यकता होगी, जिसके लिए काफी समय की आवश्यकता होगी.'

EVM की संख्या होगी दोगुनी

अधिकारी के मुताबिक, एक साथ चुनाव के लिए आवश्यक EVM की संख्या को दोगुना करने के लिए चुनाव आयोग को आदर्श रूप से ढाई से तीन साल की आवश्यकता होगी. इसके अलावा चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि भले ही सरकार आम सहमति बना ले और 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत तक विधेयक पारित करवा ले, लेकिन आयोग के पास लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था करने के लिए बहुत कम समय होगा, जिसमें गलती या अप्रत्याशित परिस्थितियों की बहुत कम गुंजाइश होगी.

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