इसरो की SpaceX से डील! मस्क करेंगे भारत के सबसे बड़े रॉकेट को लॉन्च, इतने करोड़ में बनी बात
इसरो सैटेलाइट GSAT-N2, जिसे GSAT-20 के नाम से भी जाना जाता है, उसे लॉन्च होने के लिए तैयार है. इस उपग्रह का वजन लगभग 4,700 किलोग्राम है और यह भारतीय रॉकेट के लिए बहुत भारी था. इसलिए इसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स लॉन्च करेगी. NSIL इस लॉन्चिंग के लिए स्पेसएक्स को करीब 500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.;
ISRO-Elon Musk Deal: भारत विज्ञान के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है. पिछले कुछ सालों में कई मिशन लॉन्च किए गए हैं. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक बार फिर नए मिशन को लॉन्च करने की तैयारी में है. जिसके लिए इसरो ने एलन मस्क के साथ बहुत बड़ी डील की है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसरो सैटेलाइट GSAT-N2, जिसे GSAT-20 के नाम से भी जाना जाता है, उसे लॉन्च होने के लिए तैयार है. इस उपग्रह का वजन लगभग 4,700 किलोग्राम है और यह भारतीय रॉकेट के लिए बहुत भारी था. इसलिए इसे एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स लॉन्च करेगी.
मस्क के साथ इसरो की बड़ी डील
इसरो ने एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के साथ समझौता किया है. अगले हफ्ते इसकी लॉन्चिंग होगी. यह NSIL का दूसरा वाणिज्यिक उपग्रह होगा, जो पहले ही भारतीय क्षेत्रों में सेवा हे रहे 11 उपग्रहों का पार्ट होगा. NSIL इस लॉन्चिंग के लिए स्पेसएक्स को करीब 500 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. यह स्पेसएक्स के साथ भारत का पहला वाणिज्यिक ऐसा प्रोजेक्ट है. एक्सपर्ट का मानना है कि यह डील भविष्य में और अधिक ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए अच्छा ऑप्शन हो सकता है.
भारत से क्यों नहीं होगी लॉन्चिंग?
GSAT-N2 का वजन ज्यादा होने की वजह से इसे भारतीय रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च नहीं किया जा सका. इसलिए अमेरिका के केप कैनावेरल से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. यही वजह है कि इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स की मदद लेने का फैसला किया है. बता दें कि इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट मार्क-3 है, जो पृथ्वी की कक्षा में 4000-4100 किलोग्राम वजन ही ले जा सकता है.
क्या होगा GSAT-N2 की लॉन्चिंग से लाभ?
GSAT-N2 के लॉन्च होने से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लाभ पहुंचने वाला है. इससे डेटा और इंटरनेट सेवाओं की कनेक्टिविटी अच्छी हो जाएगी. यह फ्लाइट में सवार यात्रियों के लिए इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने में सक्षम होगा. हालांकि इंटरनेट सेवाओं को पूरी तरह से उपलब्ध होने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि सेवा प्रदाताओं को लाइसेंस प्राप्त की जरूरत होगी और विमान को उपग्रह प्रणाली से जुड़ने के लिए तैयारी की आवश्यकता होगी.