SpaceX ने अंतरिक्ष में की इंडियन सैटेलाइट GSAT-20 की लॉन्चिंग, ISRO ने क्यों ली एलन मस्क की मदद?

इसरो ने स्पेसएक्स के Falcon 9 रॉकेट की मदद से GSAT 20 सैटेलाइट को लॉन्च किया है. यह सैटेलाइट दूर के इलाकों तक इंटरनेट सुविधा को पहुंचाने में मदद करने वाली हैं. जानकारी के अनुसार इस सैटेलाइट की मिशन लाइफ 14 सालों तक की है.;

( Image Source:  ISROSpaceflight )
Edited By :  सार्थक अरोड़ा
Updated On : 19 Nov 2024 8:07 AM IST

नई दिल्लीः इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने कम्यूनिकेशन सैटेलाइट को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से लॉन्च कर दिया है. इस सैटेलाइट को अमेरिका के फ्लोरिडा में केप कार्निवल से इसे लॉन्च  किया गया है. इस सैटेलाइट की मदद से दूर इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिवीटी को उपलब्ध कराया जाने वाला है.

इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 'GSAT 20 की मिशन लाइफ 14 सालों की है. साथ ही इसका ग्राउंड इंफ्रा स्ट्रक्चर सैटेलाइट की मदद से तैयार किया गया है.' वहीं इस दौरान उन्होंने इंटरनेट सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर भी जानकारी दी. उनका कहना है कि दूर इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिवीटी इस सैटेलाइट की मदद से उपलब्ध कराई जाएगी.

अमेरिका के फ्लोरिडा से हुई लॉन्चिंग

इस सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम है. इसे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल में स्पेस कॉम्प्लेक्स 40 से लॉन्च किया गया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके लॉन्च पैड को स्पेसएक्स ने US स्पेस फोर्स से किराए पर लिया था. वहीं इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स की मदद ली गई है. इस बीच यह सवाल भी किया जा रहा है कि आखिर इसरो को एलन मस्क की मदद लेने की जरूरत क्यों पड़ी.

एलन मस्क से क्यों लेनी पड़ी मदद?

दरअसल इस सैटेलाइट का वजन 4700 किलोग्राम था. जो काफी भारी है. ऐसे भारी सैटेलाइट की लॉन्चिंग के लिए ISRO को यूरोपीय एरियनस्पेस सेवाओं की जरूरत पड़ती थी. इस समय एरियनस्पेस के पास इस समय सैटेलाइट को ऑपरेट करने के लिए रॉकेट की कमी है. इसरो के पास रूस और चीन के साथ जाने का विकल्प था. लेकिन इस समय रूस और चीन के साथ राजनीतिक तनाव के कारण स्पेसएक्स सबसे शानदार ऑप्शन निकलकर सामने आया. दोनों की पार्टनर्शिप सैटेलाइट इंडस्ट्री और कम्युनिकेशन सेवाओं में नई क्षमताओं को जोड़ने में मदद करेगा

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